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________________ लघुविद्यानुवाद विधि १०५ इत्यादि । ॐ नमो अरहता ॐ नमो सिद्धाणं ॐ गमो श्राइरियाणं ॐ नमो उवज्झायाण ॐ गमो लोए सव्वसाहूण | विधि :- इस मन्त्र का स्मरण करने से स्वप्न मे शुभाशुभ मालूम होता है और दुस्वप्नो का नाश होता है । मन्त्र : - इति पिसो भगवान श्ररिष्ट सम्म संबुद्धो विज्जावरण सपन्नो सुगतो लोक विद्ध अनुत्तरो पुरुष दमसारथी शास्तादेवानां च मानुषाणं च बुद्धो भगवाजयधम्मा हेतु प्रभवा तेसां तथागतो अवचेतसांयो निरोधों एवं वादी मह समरणो । —इस मन्त्र को २१ बार जपकर दुपट्टे मे गाठ लगाकर ओढ लेने पर किसी भी प्रकार के शस्त्रो का घाव नही लग सकता रण मे सर्व शस्त्रो का निवारण होता है । इस मन्त्र के स्मरण मात्र से जीव बन्धन मुक्त हो जाता है । चोर भय, नदी मे डूबने का भय, राज भय, सिह व्याघ्र सर्पादि सर्व उपद्रव का निवारण होता है । यह मन्त्र पठित सिद्ध है, इसका फल प्रत्यक्ष होता है । मन्त्र :- ॐ अरिट्ठ नेमि बंधेरण बंधामि पर दृष्टि बंधामि चौरागं भूयार शाकिरणीरगं डाकिणी महारोगाणं दृष्टि चक्षु अंचलारणं तेसि सव्वेसि सम बंधामिगइवंधामि हुं हुं फट् स्वाहा ॐ ह्रीं सव्व सूरी उवज्झायाणं साहूणं मम् ऋद्धि वृद्धि सर्व स्वाहा । अरहंताणं सिद्धाणं समीहितं कुरु कुरु विधि :- इस मन्त्र का प्रात. और शाम को उभय काल मे बत्तीस २ बार स्मरण करना चाहिये । मन्त्र : - णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं इत्यादि । ॐ नमो भगवइसुदेवयाए सव्व सुय मयाए सरस्सईए सव्व वाइणि सुवन्न वन्ने ॐ नरदेवी मम शरीरं पविस्स पुछंतयस्स मुहंपविस्स सव्वं गमरण हरीए अरहंत सिरीए स्वाहा । - इस मन्त्र का प्रात १०८ बार जप करने से महाबुद्धिमान होता है । विधि मन्त्र :- ॐ ह्र ू ं मम् प्रमुकं वशी कुरु कुरु स्वाहा । विधि :- इस मन्त्रको २१ बार स्मरण करने से इच्छित व्यक्ति वश मे होता है ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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