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लघुविद्यानुवाद
विधि :-धनुमार्गे लिखित्वा एन मत्र मध्येविन्यस्य वामपादेनाहत्य गच्छेत् चोर भय न भवन्ति । मन्त्र --ॐ ह्रीं गरुड ह्री हंस सर्व सर्प जातीनां मुख बंधं कुरु कुरु स्वाहा । विधि -इस मन्त्र को ७ बार स्मरण करने से १ वर्ष तक सॉप नही काट सकता है। मन्त्र -ॐ ह्रीं सर्वेग्रहाः सोम सूर्यागारक बुध बृहस्पति शुक्र शनैश्वर राहु केतु
सहिताः सानु ग्रहा मे भवंतु ॐ ह्रीं असि पाउसा स्वाहा । विधि - इस मन्त्र का स्मरण करने से प्रतिकूल ग्रह भी अनुकूल हो जाते है। मन्त्र :-इदस्स वज्ररण विष्णु चकशतेन च काका सकुठारेण अमुकस्य कंठान छिद
छिद भिद भिद हुं फट् स्वाहा । (कांठा मन्त्रः) मन्त्र :-ॐ झज्यं अरुणोदय अमुकस्य सूर्यावर्त नाशय नाशय । विधि -कालातिलराती करडिदर्भरक्त चन्दन फूल २१ सूर्यावर्त नाशयति । मन्त्र -ॐ फो फां वो भी मों क्षों यों फट् स्वाहा । विधि -लूसागर्दभादीना डाकिनीना भूतपिशाचाना सर्वग्रहाणा तथा ज्वर निवर्तको मन्त्र. । मन्त्र . -हिमवंतस्योत्तरे पार्वे सरधानामयक्षिणी । तस्मानपुरशब्देन विशल्या भवति
गुविणी। विधि -इस मन्त्र को ७ बार जल मन्त्रित करके गभिरणो को पिलाने से प्रसूति सूख से हो
जाती है। मन्त्र --ॐ ह्रां ह्री हहः लूह लूह लक्ष्मी स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से चना को मन्त्रित करके खिलाने से कामल रोग नाश होता है। मन्त्र :-ॐ नमो सवराय इलिमिलि स्वाहा । (शिरोति मन्त्रः) विधि -इस मन्त्र की विधि नही है। मन्त्र -ॐ ह्री क्षीं क्लीं आवेशय स्वाहा । विधि :-अनेन मन्त्रेण सर्व विषये हस्त भ्रामण । इस मन्त्र को पढता जाय जौर
फेरता जाय तो सर्व प्रकार के विष दूर होते है। मन्त्र :-ॐ ह्रीं क्षः उर्द्ध मुखी छिद छिद भिंद भिंद स्वाहा । (कलवाणी मन्त्रः) । मन्त्र :-डुगर उप्परिरि सिमुयउ सो अप्पुत्रु वराउ तसु काररिण मइ पारिणउ दिन्नर
फिहउ सूरिय वाउ ।