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लघुविद्यानुवाद
ब्राह्मणो चत्वारो गाथा भरणंती काली महाकाली लिपिसिपि शारदा भयं
पंथे। विधि -अर्श उपशम मन्त्र हरिश स्थानेषु श्रूलोचारणे सति शूलोपशम मन्त्रः। मन्त्र :-आउभूत जीव आकाशे स्थानं नास्ति ॐ असि पाउसा ॐ नमः (त्रैयामन्त्र) मन्त्र :-ऐ क्लीं ह्रसौ (नाभि, हृदय, स्थाने वामा नां वश्य ललाट मुख वक्षसि नृणां
वश्यं) मन्त्र :-ॐ नमो चामुडा फट्टे फट्टेश्वरी। विधि -अनैनते ल, सुट्ठी, च वार ७ प्रदक्षिणा वर्त ७ वामा वर्त चामि मत्र्यत्तत स्तैलेन टिक्कक
करणीय सुठया चूणि कृत्यान नस्युर्देया । मन्त्र :-ॐ ऐं ह्रीं अंबिके प्रां का द्रा द्रीं क्लीं ब्लू सः ह्मक्लीं नमः ॐ ह्रीं ह्रः श्रीं
स्वाहा ॐ ह्रमम सर्वदुष्ट जनंवशी कुरु कुरु स्वाहा ॐ नमो भगवत्तेरि
षभाय हनि हनि ते । विधि - इस मन्त्र को प्रात १०८ बार स्मरण करने से सुन्यतादि सर्व रोग शात होते है। मन्त्र :-ॐ सो सूसें सः वृश्चिक विषं हर हर सः । विधि -प्रनेन बार २१ ख टिकायामभि मत्रिताया वृश्चिक उतरति । विधि -इस मन्त्र से खटिया को २१ बार मन्त्रित करने से बिच्छु का जहर उतर जाता है। मन्त्र :-ॐ ऋषभाय हनि हनि हना हानि स्वाहा । विधि -इस मन्त्र को २१ बार या १०८ बार जपने से कपायेन्द्रिय का उपशम होता है, विशेष तो
निद्रा, तन्द्रा का नाश करने वाला है। मन्त्र :-ॐ ह्रीं श्री क्ली कलिकुण्डे २ अमुकस्य आपात्त रक्षरणे अप्रतिहत चक्र ॐ
हों वोरे वीरे 'जयवीरे सेरणवीरे वढ़माणे वीरे जयंते अपराजिए हूं फट् स्वाहा । ॐ ह्री महाविद्य आर्हत्ति भागवति पारमेश्वरी शांते प्रशांते सर्वक्षद्रोपशमेनि सर्वभय सर्वरोगं सर्वक्षुद्रोपद्रवं सर्ववेला ज्वलं प्रणाशय २ उपशमय २ सर्व संघस्य अमुकस्य वा स्वाहा ॐ नमो भगवऊ संतिस्स सिजउ में भगवइ महाविद्या संत्ति संत्ति पंसत्ति पंसत्ति उवसंत्ति सव्वपावंपसमेउ सव्वसत्ताणं दपय चउप्पयाणं संति देश गामा गर नगर पट्टण खेडेवा रोगियारणं पुरिसारणं इत्थीणं न पुसयारणं अट्ठसयाभि मंतिएणं धूप पुष्प गंध माला लं कारेरणं संति । कायव्वा निरुवसग हवइ ३।