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विधि
लघुविद्यानुवाद
हागी लगा महादेवी किली २ शब्द जंकार रूपीं प्रदमद चक्रि छिन्नी २ महाशिनि छिनि २ कंवोडती छिन्नि २ श्रदमद सामिरिण छिन्नी हो ही होरी सरगरी पर सो पुरुष दिवायर भंजइ मुद्रयसयाई तिहि बारि हिपई संताई कंपई वहुविह सायरत कम्मइ परिहरहुं रायक पावंती चिगि चिगाइ कंबोडी डाइरिण फाडइ सिहोही होरी सरणरोसोविष नासरिग हर चह्नि छिन्नी सुदरशरण ।
- इस मन्त्र से गुगल मन्त्रित करके धूप देने से जो भी बाधा होगी वह प्रकट होगी । अगर भूत की बाधा होगी तो आग मे मन्त्रित गुगल को डालने से कडवी बदबू आयेगी, चमडे की आवे तो शाकिनि बाधा, षुसरभि की गध से योगिनी बाधा ।
विधि
मन्त्र :- ॐ नमो भगवइ कालि कालि मरुलि काक चंडालि ठः ठः । - इस मन्त्र को ७ बार मन्त्रित (जप) करके गोबर से मडल करे । मन्त्र :- ॐ नमो ब्रह्मदेवश्वराय अरे हरहि मरि पुंडरि ठः ठः । विधि
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- इस मन्त्र को १०८ बार जप कर ( शाल्योदन सत्कामधु घृत) मिश्रित करके पीड ३ स्थापन करे फिर प्रथम डभ द्वितीये मृदु तृतीये अगारा कल्पनीया प्रथमे काक पाते शीघ्र वर्षति द्वितीय पक्षेण तृतीये न वर्षात |
मन्त्र :- ॐ ब्रह्मणि विश्वाय काक चंडालि स्वाहा । ( काकाह्वान मन्त्रः )
मन्त्र :- काम रूपी विपइ संताडावर परवइ छइ कोकिलउ भइखु जिउ सुकोकिलउ भइखु पहिरइ पाऊचडइ हांसि चडइ कंहा जाइ श्री उजेगी नगरी जाइ उजेरणी नगरीछइ गंध वाम सणुता हंछइ सिद्धवटु सिद्धवट हे द्विवल इछइ चिहाचिहां दाडाइ मडउं मडाहाथि छह कपालु कपालियंतु यत्रि मन्त्र मन्त्रि काम काम कामतु नामदु ऐ क्लीं शिरु धूरणय २ कटिकंपय २ नाभि चालय चालय दोषतरणा श्राठइ महादेवी तर वारणे हरिण हरिण खिलि खिलि मारि मारि भांजि २ वायु प्रचंडु वीरु कोकिल उभइर वु जः जः
ह' ह्रः ।
विधि
. - इस मन्त्र को सात बार जपने से दोष नही ( प्रभवति ) प्रकट होगा ।
मन्त्र :- ॐ ह्रीं श्रीं पार्श्वनाथाय श्रात्म चक्षु पर चक्षु भूत चक्षु पिश्रन चक्षु २ डाकिन चक्षु २ साकिनी चक्षु सर्वलोक चक्षु माता चक्षु पिता चक्षु अमुकस्य चक्षु दह दह पच पच हन हन हूं फट् स्वाहा ।