SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परमपूज्य सन्मार्ग दिवाकर निमित्तज्ञान शिरोमरिण प्राचार्य रत्न विमलसागरजी महाराज का मंगलमय शुभाशीर्वाद मुझे यह जानकर हार्दिक प्रशन्नता है कि श्री दिगम्बर जैन कुन्थु विजय ग्रथमाला समिति जयपुर, (राजस्थान) द्वारा प्रकाशित प्रथम पुष्प लघुविद्यानुवाद ग्रथ का, गणधराचार्य कुन्थु सागरजी महाराज द्वारा पूर्ण सशोधन करने के बाद पुन द्वितीय सस्करण के रूप मे प्रकाशन हो रहा है । ग्रथ का पुन प्रकाशन होना इस बात का सूचक है कि वास्तव मे इस ग्रथ के माध्यम से लोगो को लाभ पहचा है। गणधराचार्य कुन्थ सागरजी महाराज ने इसी ग्रथ मे विमल भाषा टीका (पद्मावती स्तोत्र वत्याष्टक) को भी शामिल कर दिया है। इससे यह ग्रथ भव्य जीवो के लिये पहिले से भी ज्यादा कल्याणकारी सिद्ध होगा। यह ग्रथ भव्य जीवो को अध भक्ति से छुडाकर मिथ्यात्व से दूर हटा कर सम्यक्तवधिनि क्रिया मे लगावेगा । पद्मावती देवी भगवान पार्श्वनाथ की यक्षिणि है। इसने बडे-बडे मगलमय कार्यो मे सहायता की है और जगह-जगह जैनशासन के महत्त्व को बढ़ाया है। गणधराचार्य कुन्थसागरजी महाराज ने बहुत ही कठिन परिश्रम करके लघुविद्यानूवाद का पूर्ण सशोधन का कार्य किया है और साथ ही पद्मावती स्तोत्र वृत्याष्टक की जो टोका करने का कार्य किया है, इसके लिये हमारा उनको बहत-बहत आशीर्वाद है। ग्रथमाला समिति भी लगन व परिश्रम से कार्य कर रही है। श्री शातिकुमार जी गगवाल जो इस ग्रथमाला के प्रकाशन सयोजक है उनकी लगन एव सेवाए प्रशसनीय है। ग्रथमाला समिति इसी प्रकार आगे भी महत्त्वपूर्ण ग्रंथो का प्रकाशन कर जिनवाणी के प्रचार-प्रसार का कार्य करती रहे. इसके लिये गगवालजी को व इस कार्य मे सलग्न इनके सभी सहयोगियो को हमारा बहतबहुत मगलमय शुभाशीर्वाद है। प्राचार्य विमलसागर
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy