SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५६ लघुविद्यानुवाद आत्मा-रक्षा महासकलीकरण मन्त्र पढ़म हवइ मंगलं ब्रजमइ शिलामस्तकोपरि गमो अरहताणं अगुष्ठ्योः णमो सिद्धाणं तर्जन्योः णमो पायरियाण मध्यमयोः रणमो उवज्झायाणं अनामिकयोः गमो लोएसव्वसाहूणं कनिष्ठकयोः ऐसो पंच णमोयारो ब्रजमइ प्राकारं, सव्वपावप्पणासरणे जलभृतरवातिका, मंगलारण च सवेसि खादिरांगारपूर्ण-खातिका। ॥ इति प्रात्मनिश्चन्तये महासकलीकरणम् ॥ प्राकाश गमन कारक मन्त्र ॐ आदि ह्री हीन पंचबीजपदेयुतं सर्व सिद्धये नम । विधि .-पुष्प या फल से एक लाख जाप वृक्षे छीक कृत्वा तणी-बद्ध त आरूढोऽग्नि कुण्डो होमयेत् । येकाघातेन पादास्त्रोटयते खे गमनम् । सर्व कार्य साधक मन्त्र ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह असि आ उ सा स्वाहा । विधि व फल :-यह सर्व कार्य सिद्ध करने वाला मन्त्र है। अरहंत सिद्ध आयरिय उवज्झाय साहू । विधि -षोडशाक्षर विद्याया जाप्य २०० चतुर्थ फलम् । रक्षा मन्त्र ॐ ह्रीं गमो अरिहंताणं पादौ रक्ष रक्ष । ॐ ह्रीं णमो सिद्धारणं कटि रक्ष रक्ष । ॐ ह्री गमो पायरियाणं नाभि रक्ष रक्ष । ॐ ह्रीं णमो उवझायारणं हृदयं रक्ष रक्ष । ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहरणं ब्रह्माण्ड रक्ष रक्ष । ॐ ह्री ऐसो पंच णमोयारो शिखा रक्ष रक्ष । ॐ ह्री सव्वपावप्पणासरगो पासणं रक्ष रक्ष ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy