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________________ लघुविद्यानुवाद पुत्र-सम्पदा प्राप्ति मन्त्र ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ह्रीं असि पाउसा चुलु चुलु हुलु हुलु मुलु मुलु इच्छियं मे कुरु कुरु स्वाहा । (त्रिभुवन स्वामिनी विद्या ।) विधि, -जब यह मन्त्र जपने बैठे तो आगे धूप जला कर रख लेवे और यह मन्त्र २४ हजार फूलो पर, एक फूल पर एक मन्त्र जपता जावे। इस प्रकार पूरा जपे। घर मे पुत्र की प्राप्ति हो और वश चले। नोट :-धन, दौलत, स्त्री, पुत्र, मकान सर्व-सम्पदा की प्राप्ति इस मन्त्र के जाप से होवे । राजा तथा हाकिम वशीकरण मन्त्र ॐ ह्रीं णमो अरहंतारणं, ॐ ह्रीं णमो सिद्धारणं । ॐ ह्रीं णमो आयरियारणं । ॐ ह्री णमो उवज्झायारणं । ॐ ह्रीं गमो लोए सव्वसाहूरणं । अमुकं मम वश्यं कुरु कुरु वषट् ।। विधि -जब किसी राजा या हाकिम या बड़े आदमी को अपने वश मे करना हो तो, याने अमुक मेरे पर किसी तरह मेहरबान हो तो शिर पर पगडी या दुपट्टा जो बाँधता है यह मन्त्र २१ बार पढकर उसके पल्ले मे गाँठ देवे। जब मन्त्र पढना शुरू करे, जब पल्ला हाथ मे लेवे। २१ बार यह मन्त्र पढकर गाँठ देवे और शिर पर उस वस्त्र को बाँधकर उसके पास आवे तो वह मेहरबानी करे, मित्र हो। जब मन्त्र पढे अमुक की जगह उसका नाम लेवे । राजा प्रजा सव वश्यम् वशीकरण (मन्त्र) ॐ णमो अरहंतारणं । अरे (पारि) अर (अरि) णिमोहिणी अमुकं मोहय-मोहय स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र से चावल तथा फूल पर मन्त्र पढकर जिसके सिर पर रखे वह वश मे हो। १०८ बार स्मरण करने से लाभ होता है । सर्प-भय निवारण मन्त्र ॐ अर्ह असि पा उ सा अनाहत (विद्यायै) जयि अर्ह नमः । विधि -यह मन्त्र नित्यप्रति टक ३ गुणीजे। बार १०८ दिवाली दिन गुणीजे । जीवनपर्यन्त सर्प भय न हो।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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