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________________ जो कुभल काञ्च पर परिच्छेदः 0 बड़ों के प्रति दुर्व्यवहार न करना 1-जो आदमी अपनी भलाई वास्ता है, उसे राबरो अधिक सावधानी इस बात की रखनी चाहिए कि वह महान पुरुषों का अपमान करने से अपने को बचावे। 2-यदि कोई मनुष्य, महात्माओं का निरादर करेगा तो उनकी शक्ति से उसके शिर पर अनन्त आपत्तियों आ टूटेंगी। 3-क्या तुम अपना सर्वनाश करना चाहते हो? तो जाओ किसी के सदुपदेश पर ध्यान न दो और जाकर उन लोगों के साथ छेड़ाखानी करो कि जो जब चाहें तुम्हारा नाश करने की शक्ति रखते हैं। -जो दुर्बल मनुष्य, बलवान और सत्ताधारी पुरुषों का अपमान करता है वह मानो यमराज का अपने पास आने के लिए संकेत करता है। ___5-जो लोग, पराक्रमी राजा के क्रोध को उभारते हैं. वे चाहे कहीं जावें कभी सुख समृद्ध न होंगे। 6-दावाग्नि में पड़े हुए लोग चाहे भले ही बच जायें पर उन लोगों की रक्षा का कोई उपाय नहीं है कि जो शक्तिशाली पुरुषों के प्रति दुर्व्यवहार करते हैं। -यदि आत्मबलशाली ऋषिगण तुम पर क्रुद्ध हैं तो विविध प्रकार के आनन्द से उल्लसित तुम्हारा भाग्यशाली जीवन और समस्त ऐश्वर्य से पूर्ण तुम्हारा धन फिर कहाँ होगा ? 8-जिन राजाओं का अस्तित्व शाश्वतरूप से स्थायी भित्ति पर स्थापित है वे भी अपने समस्त बन्धुबान्धवों सहित नष्ट हो जायेंगे यदि पर्वत के समान शक्तिशाली महर्षिगण उनके सर्वनाश की कामना भर करें। -और तो और स्वयं देवेन्द्र भी अपने स्थान से भ्रष्ट हो जाय और अपना प्रभृत्य गवाँ बैठे, यदि पवित्र प्रतिज्ञा पाले सन्त लोग क्रोध भरी दृष्टि से उसकी ओर देखें। 10-यदि आध्यात्मिक ऋद्धि रखने वाले महर्षिगण रुष्ट हो जायें तो वे मनुष्य भी नहीं बच सकते कि जो सुदृढ़ से सुदृढ आश्रय के ऊपर निर्भर हैं। ...........-.-289)........
SR No.090260
Book TitleKural Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherVitrag Vani Trust Registered Tikamgadh MP
Publication Year2001
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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