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________________ ज, कुमाल काव्य र परिच्छेदः ५० स्थान का विचार 1-युद्धक्षेत्र की गली-भाँति जॉच किये बिना लडाई न छेडो और न कोई काम प्रारम्भ करो तथा शत्रु को छोटा मत समझो। 2-दुर्गवेष्टित स्थान पर खड़ा होना शक्तिशाली और प्रतापी पुरुष के लिए भी अत्यन्त लाभदायक है। ____-यदि समुचित रणभूमि को चुन लें और सावधानी के साथ युद्ध करें तो दुर्बल भी अपनी रक्षा करके शक्तिशाली शत्रु को जीत सकते हैं। -यदि तुम पहिले ही सुदृढ बनाये हुए स्थान पर खड़े हो और वहाँ डटे हो तो तुम्हारे वैरियों की सब युक्तियों निष्फल सिद्ध होगी। 5-पानी के भीतर मगर शक्तिशाली है, किन्तु बाहिर निकलने पर वह वैरियों के हाथ का खिलौना है। ___6-नीचट पहियों वाला स्थ समुद्र के ऊपर नहीं दौड़ता है और न सागर गामी जहाज भूमि पर तैरता है। 7-देखो, जो राजा सब कुछ पहिले से ही निर्धारित कर रखता है और समुचित स्थान पर आक्रमण करता है. उसको अपने बल के अतिरिक्त दूसरे सहायकों की आवश्यकता नहीं है। 8-जिसकी सेना निर्बल है वह राजा यदि रणक्षेत्र के समुचित भाग में जाकर खड़ा हो तो उसके शत्रुओ की सारी चेष्टायें व्यर्थ सिद्ध होंगी। ____-यदि रक्षा के साधन और अन्य सुभीते न भी हो तो भी किसी को उसके देश में हराना कठिन है। 10- देखो, उस गजराज को, जिसने पलक मारे बिना, भाले बरदारों की सारी सैन्य का सामना किया, लेकिन जब वही दलदली भूमि में फंस जाता है तो एक गीदड़ भी उसके ऊपर विजय पा लेता है। ............(209)
SR No.090260
Book TitleKural Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherVitrag Vani Trust Registered Tikamgadh MP
Publication Year2001
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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