SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 200
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिच्छन्दः ४२ बुद्धिमानों के उपदेश 1-सब से बहुमूल्य, निधियो में कानों की निधि है निस्सन्देह वह सब प्रकार की सम्पत्तियों से श्रेष्ठ सम्पत्ति है । 2- जब कानों को देने के लिए भोजन न रहेगा तो पंट के लिए? भी छि भोजन दे दिया जायेगा । 3-देखो, जिन लोगों ने बहुत से उपदेशो को सुना है वे पृथ्वी पर प्रत्यक्ष देवता स्वरूप हैं । 4-यदि कोई मनध्य विद्वान न हो तो भी उसे उपदेश सुनने दो . | क्योंकि जब उसके ऊपर संकट पड़ेगा तब उनसे ही उसं कुछ सान्चना मिलेगी। 5 घमात्माओं के उपदेश, एक दृढ़ लाठी के समान हैं क्योकि जो उनके अनुसार काग करते हैं उन्हें वे गिरने से बचाते हैं । 6- अच्छे शब्दों को ध्यानपूर्वक स्नो चाहे वे थोड़े से ही क्यों न हो, क्योंकि वे थोड़े शब्द भी तुम्हारी प्रतिष्ठा में समुचित वृद्धि करेंगे । 7-जिस पुरुष ने खूब भनन किया है और बुद्धिमानों के वचनों को सुन सुनकर अनेक उपदेशों को जमा कर लिया है. यह भूल से भी कभी निरर्थक तथा बाहियात बातें नहीं करता ।। -सुन राकने पर भी वे कान बहिरे ही हैं जिनको उपदेश सुनने का अभ्यास नहीं है । 9-जिन लोगो ने बुद्धिमानो के चातुरी भरे शब्दों को नहीं सुना है उनके लिए भाषण की नम्रता प्राप्त करना कठिन है । 10- जो लोग जिव्हा से तो चखते हैं. पर कानो की सुरसता से अनभिज्ञ हैं, वे चाहे जियें या मरें इससे जगत् का क्या आता जाता 193
SR No.090260
Book TitleKural Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherVitrag Vani Trust Registered Tikamgadh MP
Publication Year2001
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy