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-कतिपयाधुक्ता
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२६
३५२
घाए धाइ असंखेजा चतुराहारविवर्जनमुपवासः बतुर्वर्णमय मचं चतुर्विधमार्तध्यान चत्तारि बारसमुक्सम चत्तारि मंगलं
३६१
[ रनकरण्डश्रावकाचार १०९] [शुभचन, ज्ञानार्णव २८-५१] चारित्रसारे [.. [गोम्मटसार क०६ ६१९] [दशभक्ति, ईयोपथ पृ. १६७
दशभक्त्यादिसंग्रह, वा. सं. २४६२] [त्रिलोकसार ५४७]
३९.
३२४
२६३ ३५८
[ शुभमन्द्र, ज्ञानार्णव ४०-१६] [सनन्दिश्रावकाचार २३१] [वकर, मूलाचार ५-१५१] [गोम्मटसार जी का० ५८.] [वसुनन्दि, श्रावकाचार ५३.] [पश्वर्सग्रह १-१९३]
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२३४
१३३ १२४
वरया य परिव्वाजा चर्मनसरोमसिद्धः चंडो माणी थलो वित्तरागो भवेद्यस्य चिदानन्दमय शुद्ध पोरसमलपरिसुद्धं छहमदसमबुबालसेहि उहवाषट्ठाणं सरिस सम्मासाउगसेसे छन हेडिमासु पुडवी जघन्या अन्तरात्मानो जणणी अगणु वि कंतु जत्थ ग झापं मेयं जत्येक मरदिनीवो अदं चरे जद चिड़े अदि अपहे कोर जदि एवं ण चएको बस्स पदु आजसरसाणि जह उबई तह जाम्गेण वोतिणि अहिं [जत्य] न विसोशिय अं उप्पज्जइ दर्य
कि पि परिदमिक्ख जेणियदव्यहं मिष्णु जह जा दबे होइ मई जिगवयपषम्म जीवएसेकेके कम्मपदसा जीवितमरणाशंसा जीविदरे कम्मचये पुण्णं सूर्य मजं मसं बेसा जे णिवईसण महिमहा जेती विखेतमा
योगीन्द्रदेव [परमात्मप्रकाश १-८४] [आराधनासार ७८] [गोम्मटसार जी का. १९२] [मूलाचार १०-१२२; दशकालिक ४-८] [ वसुनन्दि, श्रावकाचार ३०६] [वमुलन्दि, श्रावकाचार ३०१] [पसुनन्दि, श्रावकाचार ५२९] [बसुनन्दि, श्रावकाचार २९.]
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[भगवत्याराधना २१८] [मावसंग्रह ५७८] [यमुनन्दि, श्रावकाचार ३०४] परमात्मप्रकाश [१-११३]
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३२१ [वसुनन्दि, श्रावकाचार २७५]
२७४ [भावसंग्रह ३२५] [तत्वार्थसूत्र -३७]
२७१ [गोम्मरसार जी को ६४२]
१२८ [बसुनन्दि, श्रावकाचार ५९] [परमात्मप्रकाश १८६] [नेमिचन्द्र] मागमे गोम्मरसार जी-५५२२२] १४९,१५३
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