SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 520
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४०६ - कतिगेयाणुपपेक्ला. [गा० ९५८. संघराणुवेक्खा सम्मत्तं देस-वयं महत्वयं तह जओ कसायाणं । एदे संवर-णामा जोगाभावो तहा चेव ॥ १५ ॥ गुत्ती समिदी धम्मो अणुवेक्खा तह य परिसह-जओ वि। उकिर्ट चारित्तं संवर-हेर्दू विसेसेण ॥ ९६ ॥ गुची जोग-णिरोहो समिदी य पमाद-वजणं चेव । धम्मो दया-पहाणो सुतत-चिंता अणुप्पहा ॥ ९७ ॥ सो वि परीसह-विजओ मुहादि-पीडाण अइ-रउद्दाणं । सवणाणं च मुणीणं उवसम-भावेण जं सहणं ॥ ९८ ॥ अप्प-सरूवं वत्थु चत्तं रायादिएहि दोसेहिं । सज्माणम्मि णिलीणं तं जाणसु उत्तम चरणं ॥ ९९ ॥ एदे संघरहे, जियाराणोनि जोम आयरइ । सो भैमह चिरं कालं संसारे दुक्ख-संतत्तो ॥ १०॥ जो पुणे विसर्य-विरत्तो अप्पाणं सर्वदो वि संवरह। मणहर-विसहिंतो तस्स फुडं संवरो होदि ॥ १.१ ॥ ९. णिज्जराणुयेक्खा । पारस-विहेण तपसा णियाण-रहियस्स णिज्जरा होदि । वेरग्ग-भावणादो गिरहंकारस्सै णाणिस्स ॥ १०२ ॥ सधेसि कम्माणं सत्ति-विवाओ हवे अणुभाओ। तदणंतरं तु सडणं कम्माण णिज्जरा जाण ॥ १०३ ।। सा ऍण दुविहा गेया सकाल-पत्ता तयेण कयमाणा । चादुगदी]" पढमा वय-जुत्ताणं हवे विदिया ॥ १०४ ॥ उक्सम-भाव-तवाणं जह जह चड्डी हई साहूणं । तह तह णिजर-बड्डी विसेसदो धम्म-सुक्कादो ॥ १०५ ॥ लमग तह ख्य, स तह श्वेव। २ व अणुवेहा, सग विक्खा। ३ लमग तह परीसद, स त य परीसह । ब इङ। ५मस पमाय - ६ व सुतस्थ-, लसग सुताच- 1 ब भागुबेहा। लमग हाइ-1 ९ष बिलीणं [१]। १० च हेदूं, लसग हेई, म हेदु । १३ ब भमेइ [भमइ य चिरकालं]। १२ व पुणु। १३ग विसइ । १४ लमसग सम्पदा । १५ब चिसयेहितो। १६ व संवराणुवेक्खा। "लस कारिस्स। १८ख सत्त। १९ ल विवागो। २० ब पुणु। २१ व चाऊगदी, स चा। २२म दुड्डी। २३थ हबह। २५ द वुड्डी।
SR No.090248
Book TitleKartikeyanupreksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumar Swami
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year
Total Pages589
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy