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________________ १२३ गा० ६२ ] उत्तरपयडिअणुभागउदीरणाए सण्णियासो जह• उदी० सम्म० सिया० तं तु छट्ठाणप० । सम्म० जह० अणुभा० उदी० बारसक०-अट्ठणोक० सिया तं तु छट्ठाणप० । 5 ३२३. अणुदिसादि सव्वट्ठा ति सम्म०-बारसक०-सत्तणोक० आणदभंगो । एवं जाव०। 5 ३२४. भावाणु० सव्वत्थ ओदइओ भावा । * अप्पाबहुअं। ६ ३२५. सुगममेदमहियारसंभालणसुत्तं । तं च दुविहमप्पाबहुअं-जहण्णमुक्कस्सं च । एत्थुक्कस्सए ताव पयदं । तस्स दुविहोणिदेसो-ओघादेसभेदेण । तत्थोषपरूवण?मुत्तरो सुत्तपबंधो * सव्वतिव्वाणुभागा मिच्छत्तस्स उकस्साणुभागुदीरणा । 5 ३२६. सव्वेहितो तिव्यो अणुभागो जिस्से सा सव्वतिव्वाणुभागा सव्वतिब्बसत्तिसंजुत्ता त्ति वुत्तं होदि । का सा ? मिच्छत्तस्स उकस्साणुभागुदीरणा। कुदो ? सव्वदव्वविसयसद्दहणगुणपडिबंधित्तादो। . जघन्य अनुभागका उदीरक है या अजघन्य अनुभागका उदीरक है। यदि अजघन्य अनुभागका उदीरक है तो जघन्यकी अपेक्षा छह स्थानपतित अजघन्य अनुभागका उदीरक है। सम्यक्त्वके जघन्य अनुभागकी उदीरणा करनेवाला बारह कषाय और आठ नोकषायोंका कदाचित् उदीरक है और कदाचित् अनुदीरक है। यदि उदीरक है तो जघन्य अनुभागका उदीरक है या अजघन्य अनुभागका उदीरक है। यदि अजघन्य अनुभागका उदीरक है तो जघन्यकी अपेक्षा छह स्थानपतित अजघन्य अनुभागका उदोरक है। ६२२३. अनुदिशसे लेकर सर्वार्थसिद्धि तक सम्यक्त्व, बारह कषाय और सात नोकषायोंका भंग आनत कल्पके समान है । इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए। $ ३२४. भावानुगमकी अपेक्षा सर्वत्र औदयिक भाव है। * अल्पबहुत्वका अधिकार है। $ ३२५. अधिकारकी सम्हाल करनेवाला यह सूत्र सुगम है। वह अल्पबहुत्व दो प्रकारका है-जघन्य और उत्कृष्ट । यहाँ सर्व प्रथम उत्कृष्टका प्रकरण है । ओघ और आदेशके भेदसे उसका निर्देश दो प्रकारका है। उनमेंसे ओघका कथन करने के लिए आगेका सूत्र प्रबन्ध है * मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट अणुभाग उदीरणा सबसे तीव्र अनुभागवाली है। ६ ३२६. सबसे तीव्र अनुभाग है जिसका वह सबसे तीव्र अनुभागवाली कहलाती है । सबसे तीव्र शक्तिसे संयुक्त है यह उक्त कथनका तात्पर्य है। शंका-वह कौन है ? समाधान-मिथ्यात्वको उत्कृष्ट अनुभाग उदीरणा, क्योंकि वह सर्व द्रव्यविषयक श्रद्धान गुणका प्रतिबन्ध करती है।
SR No.090223
Book TitleKasaypahudam Part 11
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages408
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size14 MB
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