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________________ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ वेदगो७ एवं जाव० । २२१. जह० पयदं । दुविहो णि०-ओघेण आदेसेण य । ओघेण मिच्छ०सोलसक०-सत्तणोक० जह० अणुभागु० के० ? संखेजा । अजह० के० ? अणंता । सम्म०-इत्थिवेद-पुरिस० जह० अणुभागु० के० १ संखेजा। अजह० के० १ असंखेजा। सम्मामि० जह० अजह० अणुभागु० के० १ असंखेजा । $२२२. आदेसेण जेरइय० सम्म० ओघं । सेसाणं जह• अजह० केत्ति ? असंखेजा । एवं पढमाए। विदियादि सत्तमा त्ति पंचि०तिरिक्खजोणिणी-पंचिं०'तिरि०अपज०-मणुसअपज०-भवण-वाणवें०-जोदिसि० सव्वपय० जह• अजह० के० १ असंखेजा । तिरिक्खेसु मिच्छ०-सोलसक०-सत्तणोक० जह० केत्ति० ? असंखेजा । अजह० के० १ अणंता। सम्म० ओघं । सम्मामि०-इत्थिवेद-पुरिसवे० जह० अजह० के० १ असंखेजा। पंचिं०तिरिक्खदुगे सम्म० ओघं । सेसपय० जह० अजह० के० १ असंखेजा। $ २२३. मणुसेसु मिच्छ०-सोलसक०-सत्तणोक० जह० संखेजा । अजह० असंखेजा । सम्म०-सम्मामि०-इत्थिवे०-पुरिसवे. जह० अजह० के० ? संखेजा । कितने हैं ? संख्यात हैं । इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए। $२२१. जघन्यका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश। ओघसे मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकषायोंके जघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। अजघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। सम्यक्त्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके जघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । अजघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। सम्यग्मिथ्यात्वके जघन्य और अजघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। २२२. आदेशसे नारकियोंमें सम्यक्त्वका भंग ओघके समान है। शेष प्रकृतियोंके जघन्य और अजघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । इसी प्रकार पहली पृथिवीमें जानना चाहिए। दूसरीसे लेकर सातवीं पृथिवी तकके नारकी, पश्चेन्द्रियतिर्यश्चयोनिनी, पञ्चेन्द्रियतिर्यश्च अपर्याप्त, मनुष्य अपर्याप्त, भवनवासी, व्यन्तर और ज्योतिषी देबोंमें सब प्रकृतियोंके जघन्य और अजघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। तिर्यश्चोंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकषायोंके जघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । अजघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? अनन्त हैं । सम्यक्त्वका भंग ओघके समान है। सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके जघन्य और अजघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्च द्विफमें सम्यक्त्वका भंग ओघके समान है । शेष प्रकृतियोके जघन्य और अजघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। $ २२३. मनुष्यों में मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकषावोंके जघन्य अनुभागके उदीरक जीव संख्यात हैं । अजघन्य अनुभागके उदीरक जीव असंख्यात हैं । सम्यक्त्व सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके जघन्य और अजघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ?
SR No.090223
Book TitleKasaypahudam Part 11
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages408
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size14 MB
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