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________________ जैन धर्म का प्राचीन इतिहास प्रसिद्ध विद्वान श्री रामधारी सिंह दिनकर' इसी बात की पुष्टि करते हए लिखते हैं-'मोहन-जो-दड़ो की खुदाई में योग के प्रमाण मिले हैं और जैन मार्ग के प्रादि तीर्थंकर ऋषभ देव थे, जिनके साथ योग और वैराग्य की परम्परा उसी प्रकार लिपटी हुई है जैसे कालान्तर में वह शिव के साथ सम्बन्धित थी। इस दृष्टि से कई जैन विद्वानों का यह मानना प्रयुक्तियुक्त नहीं दीखता कि ऋषभ देव वेदोल्लिखित होने पर भी वेद पूर्व हैं।' । इसी सन्दर्भ में डा. ऐम ऐल. शर्मा लिखते हैं-'मोहन-जो-दड़ो से प्राप्त मुहर पर जो चित्र अंकित है, वह भगवान ऋषभ देव का है । यह चित्र इस बात का द्योतक है कि आज से पांच हजार वर्ष पूर्व योग साधना भारत में प्रचलित थी। और उसके प्रवर्तक जैन धर्म के आदि तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव थे। सिन्धु निवासी अन्य देवताओं के साथ ऋषभ देव की भी पूजा करते थे।' १. संस्कृति के चार प्रध्याय, पृ० ३६ २. भारत में संस्कृति एवं धर्म, २०
SR No.090192
Book TitleJain Dharma ka Prachin Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherGajendra Publication Delhi
Publication Year
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Story
File Size15 MB
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