________________
१२.
.
घण्टाकर्ण मंत्र कल्पः
-:-:-
-:.
-.-
-.-..-:
मंत्र के उच्चारण के साथ सात तरह के पत्ते लगावें, फिर सात बार चावलों का मण्डल बनावें, घडों को सम्भाल कर मण्डल पर रखें। वहाँ चौमुखा दीपक जलाकर रखें। .. सामग्री ---
गिरी, छहारा, चिरोंजी, बादाम, अवीर, पिस्ता, जौ, तिल, उडद, शक्कर, चावल, ५ प्रकार के पत्तों से हवन करें।
मंत्र को पढता जावें और फिर जाकर गोडा, सुधारणा, पानी घडे में ले आवें--यह विधि सात दिन तक करें।
फिर स्त्री को स्नान करावें, नीले रंग के धागे को मंत्रित करके उसमें सात गठान लगावें, उसे स्त्री के गले में बांध देखें तो स्त्री को प्रसवपीड़ा दूर होती है ।
. मतवत्सा दोष मिटाने की विधि
प्रथम घण्टाकर्ण मूल मंत्र को १०८ बार पढ़ें। इससे दोष शुद्ध होता है । अन्य विधि इस प्रकार है--
३२ का पानी मंगावें, . वृक्षों के पत्ते मंगावें, ६ अनार के, ६ अंजीर के, ६ फालसा के, ६ प्राडु . के, अतिर्म के, ६ लाल कनेर के, ६ सफेद कनेर के, ६ सेवंति के, ६ नारंगी के इन जातियों के पत्ते मंगावें।
५ जाति के वृक्षों के पुष्प मंगावें। चम्पा, चमेली, कदंब, अनार और जुई के पुष्प मंगावें।
. जहाँ ५ और रास्ता जाता हो, वहां मंत्र पढ़ें। . . . मंत्र पढ़कर स्त्री को स्नान करावें, यंत्र को स्त्री के गले में बांध देखें।
हवन करें। सामग्रो ---
चिरौंजी, बादाम, गिरी, तिल, उडद, जी और घी इतनी वस्तुओं से इवन करें।
- ऐसा करने पर मृतकत्सा का दोष नष्ट होता है।
D:--
-
: