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घण्टाकर्ण मंत्र कल्प:
भूमि शुद्धि में-गोबर और मिट्टी से भूमि को लिपे फिर उपरोक्त मंत्र से भूमि पूजा करें। स्नान करने का मंत्र :---
ॐ ह्रीं क्लीं शुद्ध लेन स्नानं करोमि स्वाहा। इसके बाद शुद्धवस्त्र पहिनकर यह मंत्र पढ़ें
ॐ ह्रीं क्लीं शुद्धवस्त्रपरिधानोपधारयामि स्वाहा । . मंत्र विधि में नियम :-~
एक समय भोजन करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें, भूमिशयन करें, मंत्र साधना पूर्ण होने तक पाव में जूते, चप्पल प्रादि का उपयोग नहीं करें, लोभकषाय का त्याग करें, झूठ बोलने का त्याग करें, क्रोध का त्याग कर हित-मित-प्रिय शब्द मृदुता से बोलें, आहार विहारादि प्रत्येक क्लिया में शुद्धता रखें, अष्टपल्लादि का ध्यान रखते हुए मंत्र जाप्य करें।
___ मंत्र का शुद्ध उच्चारण करते हुए मंत्रजाप्य करें। जाप्य मानसिक, वाचनिक और उपांसुरूप से करें।
मानसिक जाप्य :--मंत्र का मन ही मन में जाप्य करना । वाचनिक जाप्य :-मंत्र का उच्चारण करते हुए जाप्य करना।
उपांसु जाध्य :--मंत्र का उच्चारण तो न हो परन्तु होंठ हिलते हुए उच्चारण करना । इसमें जोर से उच्चारण नहीं होता मात्र होंठ हिलते रहते हैं।
.. घण्टाकर्ण का मूलमंत्र ॐ घण्टाकर्ण महावीर, सर्वव्याधि विनाशक । .. विस्फोटक भयं प्राप्ती, रक्ष रक्ष महाबल ॥१॥ यत्र त्वं तिष्ठते देव, लिखितोऽक्षर पंक्तिभिः । रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, बात-पित्त-कफोद्भवाः ॥२॥ तय राजभयं नास्ति, यांति कर्णे जपाक्षयं ।। शाकिनीभूतवेताला, राक्षसां च प्रभवंतिनः ।।३।।