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में श्रद्धा की परम आवश्यकता है। श्रद्धा नहीं है तो नहीं करें। लेकिन निंदा नहीं करें। निदा से हानि उठानी पड़ती है। मंत्रों का दुरुपयोग करने वाले को पाप लयेगा। उसी की जवाबदारी रहेगी। हमारी नहीं । हमारा मात्र उद्देश्य मंत्र शास्त्र का उद्धार करना है। किसी का अहित नहीं, ध्यान रखें।
___ ग्रंय को छपाने हेतु परम गुरुभक्त बडौल (उ.प्र.) निवासी श्रीमान अशोक कुमार जी जैन ने आर्थिक सहयोग प्रदान किया है। मेरा इनको तथा इनके सर्व परिवार को बहत २ धर्मवद्धि प्राशीर्वाद है। अथ के संग्रह कार्य में जिन २ प्रतियों का मैने सहारा लिया उन सभी का मैं आभारी हूं। मंत्र शास्त्र विरोधियों को भी मेरा आशीर्वाद है क्योंकि उनके विरोध के बिना मेरे मंत्र सास्त्र का प्रचार नहीं हो पाता।
इस ग्रंथ का प्रकाशन श्री दिगम्बर जैन कुथु विजय ग्रथमाला समिति जयंपुर । (राजस्थान) द्वारा १६वें पुष्प के रूप में हुआ है। अथ प्रकाशन कार्य कठिन कार्य होता है जिसमें मंत्र शास्त्रों का कार्य तो बहुत ही कठिन होता है।
हमारी ग्रंथमाला के प्रकाशन संयोजक श्री शांति कुमारजी मंगवाल है जो बहुत . ही परिश्रमो तथा पुरुषार्थी होने के साथ-साथ देव शास्त्र गुरु के परमभक्त है । इनके सुपुत्र श्री प्रदीप कुमारजी भी पाप जैसे ही है। इन्हीं के कारण यह ग्रंथमालो बहुत ही प्रगति कर रही है, और इन्हीं के कठिन परिश्रम से अब तक १५ महत्वपूर्ण मथों का.. प्रकाशन हो सका है और यह १६ वा अथ प्रकाशित हzा है। अतः मेरा श्री शान्ति कुमारजी प्रदीप कुमारजी गंगवाल एवं ग्रंथमाला के सभी सहयोगी, कार्यकर्ताओं को बहुल २ मंगलमय शुभाशीर्वाद है। .
गणधराचार्य कुन्थु सागर
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