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________________ परिशिष्ट-2 माप-सारिणियाँ १. रेखा माप * अनन्त परमाणु ८ अणु ८ त्रसरेणु ८ रथरेणु ८ उ. भो. बा. ८ म. भो. बा. ८ ज. भो. बा. ८ कर्मभूमि का बाल-माप ८ लीक्षा माप ८ तिल-माप ८ यव-माप ५०० व्यवहाराङ्गुल वर्तमान नराङ्गुल ६ आत्माङ्गुल २ पाद २ वितस्ति ४ हस्त २००० दण्ड ४ क्रोश = १ अणु = १ त्रसरेणु = १ रथरेणु = १ उत्तम भोगभूमि बाल-माप = १ मध्यम मोगभूमि का बाल-माप असंख्यात समय संख्यात आवलि ७ उच्छ्वास ७ स्तोक = १ जघन्य " 39 53 = १ कर्मभूमि का बाल-माप १लीक्षा-माप = १ तिल माप या सरसों-माप = १ यव-माप = १ अङ्गुल या व्यवहाराङ्गुल = १ प्रमाण वा प्रमाणाहुल = १ आत्माङ्गुल = १ पाद-माप ( तिर्यक् ) १ वितरित = १ हस्त = १ दण्ड t = १ क्रोश = १ योजन २. काल माप [] = १ आवलि = १ उच्छ्वास = १ स्तोक = १ लव * इस सम्बन्ध में तिलोयपण्णत्ती में दिया गया रेखा-माप दृष्टव्य है १९९३ - १३२ । + तिलोयपण्णत्ती में लीक्षा के पश्चात् जूं माप है। 1 तिकोणती में दण्ड को धनुष, मूसल या नाळी भी बताया है। [] इस सम्बन्ध में तिलोवपण्णत्ती में दिया गया काल-माप दृष्टव्य है 1 ४; २८५–२४६
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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