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गणित सारसंग्रहः
अत्रोद्देशकः
त्रिकपञ्चकबीजोत्थद्विसमत्रिभुजस्य गणक बाहू द्वौ । भूमिमवलम्बकं च प्रगणय्याचक्ष्व मे शीघ्रम् ।। १०९३ ।। विषम त्रिभुजक्षेत्रस्य कल्पनाप्रकारस्य सूत्रम्जन्यभुजार्थं छित्त्वा केनापिच्छेदलब्धजं चाभ्याम् । कोटियुतिर्भूः कर्णौ भुजौ भुजा लम्बका विषमे ।। ११०३ ॥ अत्रोद्देशकः
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द्विबीजकस्य क्षेत्रभुजार्धेन चान्यमुत्थाप्य । तस्माद्विषमत्रिभुजे भुजभूम्यवलम्बकं ब्रूहि ।। १११३ ॥
इति जन्यव्यवहारः समाप्तः ।
उदाहरणार्थ प्रश्न
हे गणितज्ञ, ३ और ५ को बीज लेकर उनकी सहायता से प्राप्त समद्विबाहु त्रिभुज के संबंध में दो बराबर भुजाओं, आधार और लंब के मापों को शीघ्र ही गणना कर बताओ ॥ १०९३ ॥
[ ७. १०९३
विषम त्रिभुज की रचना करने की विधि के लिये नियम
दिये गये बीजों से प्राप्त आयत के आधार को
मन से चुने हुए गुणनखंड मानकर दूसरा आयत प्राप्त
आधी राशि को द्वारा भाजित करते हैं | भाजक और भजनफल की इस क्रिया में बीज करते हैं । इन दो आयतों की लम्ब भुजाओं का योग इष्ट विषम त्रिभुज के आधार का माप होता है । उन दो आयतों के दो कर्ण इष्टत्रिभुज की दो भुजाओं के माप होते हैं । उन दो आयतों में से किसी एक का आधार इष्ट त्रिभुज के लंब का माप होता है ॥ ११०३ ॥
उदाहरणार्थ
२ और ३ को बीज लेकर उनसे प्राप्त आयत तथा उस आयत के आधे आधार से प्राप्त दूसरा आयत संरचित कर, मुझे इस क्रिया की सहायता से विषम त्रिभुज की भुजाभों, आधार और लंब के मापों को बतलाओ ॥ १११३ ॥
इस प्रकार, क्षेत्र गणित व्यवहार में जन्म व्यवहार नामक प्रकरण समाप्त हुआ ।
(११०३) पार्श्वलिखित रचना से नियम स्पष्ट हो जावेगा -
मानलो अ ब स द और इ फ ग ह दो ऐसे जन्य आयत हैं कि आधार अ द= आधार इह । ब अ को क तक इतना
अ
कें
बढ़ाओ कि अक=इफ हों। यह सरलता पूर्वक दिखाया जा सकता है कि द क = इग और त्रिभुज बदक का आधार ब क = ब अ +इफ, जो आयतों की लंब भुजायें कहलाती हैं । त्रिभुज की भुजायें उन्हीं आयतों के कर्णों के बराबर होती हैं।