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________________ २०० ] गणित सारसंग्रहः अत्रोद्देशकः मृदङ्गनिभक्षेत्रस्य च पणवाकारक्षेत्रस्य च वज्राकार क्षेत्रस्य च सूक्ष्मफलानयनसूत्रम् - मुखगुणितायामफलं स्वधनुः फलसंयुतं मृदङ्गनिभे । तत्पणववज्रनिभयोर्धनुःफलोनं तयोरुभयोः ।। ७६ ।। अत्रोद्देशकः [ 0.042 चतुर्विंशतिरायामो विस्तारोऽष्टौ मुखद्वये । क्षेत्रे मृदङ्गसंस्थाने मध्ये षोडश किं फलम् ।। ७७३ ।। चतुर्विंशतिरायामस्तथाष्टौ मुखयोर्द्वयोः । चत्वारो मध्यविष्कम्भः किं फलं पणवाकृतौ ।। ७८३ ॥ चतुर्विंशतिरायामस्तथाष्टौ मुखयोर्द्वयोः । मध्ये सूचिस्तथाचक्ष्व वज्राकारस्य किं फलम् ॥ ७९३ ॥ नेमिक्षेत्रस्य च बालेन्द्वाकार क्षेत्रस्य च इभदन्ताकारक्षेत्रस्य च सूक्ष्मफलानयनसूत्रम्-पृष्ठोदर संक्षेपः षड्भक्तो व्यासरूपसंगुणितः । दशमूलगुणो ने मेर्बाले द्विभदन्तयोश्च तस्यार्धम् ।। ८०३ ॥ मृदंगाकार, पणवाकार और वज्राकार आकृतियों के संबंध में सूक्ष्म फलों को प्राप्त करने के लिये नियम जो महत्तम लम्बाई को मुख की चौड़ाई द्वारा गुणित करने पर प्राप्त होता है ऐसे परिणामी क्षेत्रफल में संबंधित धनुषाकृतियों के क्षेत्रफलों के मान को जोड़ते हैं । यह परिणामी योग मृदंग के आकार की आकृति के क्षेत्रफल का माप होता है पणव और वज्र की आकृति के के लिये महत्तम लम्बाई और मुख की चौड़ाई के गुणनफल से प्राप्त क्षेत्रफल को क्षेत्रफलों के माप द्वारा हासित करते हैं। शेषफल इष्ट क्षेत्रफल होता है ॥ ७६ ॥ उदाहरणार्थ प्रश्न । है 1 मृदंगाकार आकृति के संबंध में महत्तम लम्बाई २४ है । दो मुखों में से प्रत्येक के मुख की चौदाई ८ है । बीच में महत्तम चौड़ाई १६ है । क्षेत्रफल क्या है ? ॥ ७७ ॥ पणवाकृति के संबंध में महत्तम लम्बाई २४ है । इसी प्रकार प्रत्येक मुख की चौदाई ८ और केन्द्रीय चौदाई ४ है । क्षेत्रफल क्या है ? ॥ ७८ ॥ वज्र के आकार की आकृति के महत्तम लम्बाई २४ है । दो मुखों में से प्रत्येक की चौड़ाई ८ है । केन्द्र केवल एक बिन्दु मिक्षेत्र और बालेन्दु समान क्षेत्र ( हाथी की खीस के फलों को निकालने के लिये नियम संबंध में क्षेत्रफल निकालो || ७९३ ॥ अन्वायाम छेदाकृति ) के सूक्ष्म क्षेत्र - । क्षेत्रफल प्राप्त करने धनुषाकृति संबंधी नेमिक्षेत्र के संबंध में भीतरी और बाहरी वक्रों के मापों के योग को ६ द्वारा भाजित करते हैं । इसे कंकण की चौड़ाई से गुणित कर फिर से १० के वर्गमूल द्वारा गुणित करते हैं । परिणामी फल इष्ट क्षेत्रफल होता है । इसका आधा बालेन्दु का क्षेत्रफल अथवा हाथी की खीस की अन्वायाम छेदाकृति ( इभदन्ताकार क्षेत्र ) का क्षेत्रफल प्राप्त होता है ॥ ८० ॥ तो वह इस ( ७६३) इस नियम का मूल आधार ३२ वीं गाथा में नोट में दिये गये चित्रों से स्पष्ट हो जावेगा । (८०३ ) नेमिक्षेत्र के लिये दिया गया नियम यदि बीजीय रूप से प्ररूपित किया जाय, रूप में आता है, + २. XXV १०, जहाँ ११, १२ दो परिधियों के माप हैं, और ल नेमिक्षेत्र ६ प -
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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