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गणितसारसंग्रहः
[६.२२३
अत्रोद्देशकः समये केचिद्वणिजस्त्रयः क्रय विक्रयं च कुर्वीरन् । प्रथमस्य षट् पुराणा अष्टौ मूल्यं द्वितीयस्य ॥२२३॥ न ज्ञायते तृतीयस्य व्याप्तिस्तैनरैस्तु षण्णवतिः । अज्ञातस्यैव फलं चत्वारिंशद्धि तेनाप्तम् ॥२२४॥ कस्तस्य प्रक्षेपो वणिजोरुभयोर्भवेच्च को लाभः । प्रगणय्याचक्ष्व सखे प्रक्षेपं यदि विजानासि ।।२२५॥
भाटकानयनसूत्रम्-- भरभृतिगतगम्यहतिं त्यक्त्वा योजनदलघ्नभारकृतेः । तन्मूलोनं गम्यच्छिन्नं गन्तव्यभाजितं सारम् ॥२२६।।
अत्रोद्देशकः पनसानि द्वात्रिंशन्नीत्वा योजनमसौ दलोनाष्टौ । गृह्णात्यन्तर्भाटकमधे भग्नोऽस्य किं देयम् ।।२२७॥
1M और B में यहाँ त जहा है; छंद की दृष्टि से यह अशुद्ध है।
उदाहरणार्थ प्रश्न समझौते के अनुसार तीन व्यापारियों ने खरीदने और बेचने की क्रिया की। उनमें से पहिले की रकम ६ पुराण, दूसरे की ८ पुराण तथा तीसरे की अज्ञात थी। उन सब तीन मनुष्यों को ९६ पुराण लाभ प्राप्त हुआ। तीसरे व्यक्ति द्वारा अज्ञात रकम पर ४० पुराण लाभ प्राप्त किया गया था । व्यापार में उसने कितनी रकम लगाई थी ? अन्य दो व्यापारियों को कितना-कितना लाभ हुआ ? हे मित्र ! यदि समानुपातिक विभाजन की क्रिया से परिचित हो तो भलीभाँति गणना कर उत्तर दो ॥ २२३-२२५॥
किसी दी गई दर पर किसी निश्चित दूरी के किसी भाग तक कुछ दी गई वस्तुएँ ले जाने के किराये को निकालने के लिये नियम
ले जाये जाने वाले भार के संख्यात्मक मान और योजन में नापी गई तय दूरी की अई राशि के गुणनफल के वर्ग में से ले जाये जाने वाले भार के संख्यात्मक मान, तय किया गया किराया, पहुँची हुई दूरी, इन सब के संतत गुणनफल को घटाओ। तब यदि ले जाये जाने वाले भार के भिन्नीय भाग ( अर्थात् यहाँ आधा भाग) को तय की गई पूरी दूरी द्वारा गुणित कर, और तब उपर्युक्त अंतर के वर्गमूल द्वारा हासित कर, तय की जाने वाली (जो अभी शेष है ऐसी) दूरी के द्वारा भाजित किया जाय, तो इष्ट उत्तर प्राप्त होता है।
उदाहरणार्थ प्रश्न यहाँ एक मनुष्य ऐसा है, जिसे ३२ पनस फलों को १ योजन दूर ले जाने पर मजदूरी में ७३ फल मिलते हैं। वह आधी दूर जाकर बैठ जाता है। उसे तय की गई मजदूरी में से कितनी मिलना चाहिये ? ॥२२७॥