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________________ १२२] गणितसारसंग्रहः [ ६. १३१३ अत्रोद्देशकः आनीतवत्याम्रफलानि पुंसि प्रागेकमादाय पुनस्तदर्धम् । गतेऽग्रपुत्रे च तथा जघन्यस्तत्रावशेषार्धमथो तमन्यः ॥ १३१३ ।। प्रविश्य जैनं भवनं त्रिपूरुषं प्रागेकमभ्यर्च्य जिनस्य पादे'। शेषत्रिभागं प्रथमेऽनुमाने तथा द्वितीये च तृतीयके तथा ॥ १३२३ ॥ शेषत्रिभागद्वयतश्च शेषत्र्यंशद्वयं चापि ततस्त्रिभागान् । कृत्वा चतुर्विंशतितीर्थनाथान समर्चयित्वा गतवान् विशुद्धः ॥ १३३३ । इति मिश्रकव्यवहारे साधारणकुट्टीकारः समाप्तः । १. हस्तलिपि में पादौ शब्द है जो यहाँ शुद्ध प्रतीत नहीं होता है। B में पादे के लिये के ज्ञान् पाठ है। उदाहरणार्थ प्रश्न किसी मनुष्य द्वारा घर पर आम्र फलों को लाने पर उसके बड़े पुत्र ने पहिले एक फल लिया और तब शेष के आधे लिये। बड़े लड़के के जाने पर, छोटे लड़के ने भी शेष में से उसी प्रकार फल लिये । ( उसने, तत्पश्चात् , जो शेष रहा उसका आधा लिया ); और अन्य पुत्र ने शेष आधे लिये। पिता के द्वारा लाये हए फलों की संख्या निकालो। ॥ १३१३॥ कोई मनुष्य फूल लेकर ऐसे जिनमंदिर में गया जो मनुष्य की ऊँचाई से तिगुना ऊँचा था। पहिले उसने इन फूलों में से पूजन में जिन भगवान् के चरणों में एक फूल चढ़ाया, और तब पूजन में शेष फूलों के एक तिहाई जिन भगवान् की प्रथम ऊँचाई-माप वाली प्रतिमा के चरणों में भेंट किये। शेष दो तिहाई फूलों में से उसने उसी प्रकार द्वितीय ऊँचाई-माप वाली प्रतिमा के चरणों में भेंट किये, और तब उसी प्रकार तीसरी ऊँचाई-माप वाली प्रतिमा के चरणों में भेंट किये। अंत में जो दो तिहाई बचे वे भी तीन बराबर भागों में बाँटे गये; और इन भागों में से एक-एक भाग आठ-आठ तीर्थंकरों को (इस प्रकार कुल २४ तीर्थंकरों को) भेंट करने पर उसके पास एक भी फूल न बचा। बतलाओ उसके पास कितने फूल थे? ॥ १३२२-१३३३ ॥ इस प्रकार, मिश्रक व्यवहार में, साधारण कुट्टीकार नामक प्रकरण समाप्त हुआ। दूसरे शेषांश १- या द्वारा और अन्तिम श या द्वारा गुणित करो जिससे टाट प्राप्त । ८/८१ होगा।........... ...........(३) (१), (२), (३) द्वारा दर्शाये गये भिन्नों की इन तीन राशियों में प्रथम भिन्नों के हरों को अलग कर देते हैं, और श वल्लिका कुट्टीकार में ऋणात्मक अग्र निरूपित करते हैं जहाँ उन राशियों में दूसरे भिन्नों में से प्रत्येक अंश और हर क्रमशः भाज्य, गुणक और भाजक का निरूपण करते हैं । इस ८ क-३८ प्रकार, पूर्णाक प्राप्त होते हैं । इन तीन दशाओं ४कUmar. . .पूणाका और ८१ को समाधानित करनेवाला क का मान, फूलों की संख्या होती है।
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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