________________
.
[८५
त्रैराशिकम्यवहारः मुद्गद्रोणयुगं नवाज्यकुडबान् षट् तण्डुलद्रोणकानष्टौ वस्त्रयुगानि वत्ससहिता गाष्षट् सुवर्णत्रयम् । संक्रान्तौ ददता नराधिपतिना षड्भ्यो द्विजेभ्यः सखे षड्विंशत्रिशतेभ्य आशु वद किं तद्दत्तमुद्गादिकम् ॥ १७ ॥
इति त्रैराशिकः ।
व्यस्तत्रैराशिके तुरीयपादस्योद्देशकः कल्याणकनकनवतेः कियन्ति नववर्णकानि कनकानि । साष्टांशकदशवर्णकसगुञ्जहेम्नां शतस्यापि ॥ १८ ॥ व्यासेन दैर्येण च षटकराणां चीनाम्बराणां त्रिशतानि तानि । त्रिपश्चहस्तानि कियन्ति सन्ति व्यस्तानुपातक्रमविद्वद त्वम् ॥ १९ ॥
इति व्यस्तत्रैराशिकः ।
व्यस्तपश्चराशिक उद्देशकः पश्चनवहस्तविस्तृतदैर्ध्यायां चीनवस्त्रसप्तत्याम् । द्वित्रिकरव्यासायति तच्छ्रुतवस्त्राणि कति कथय ॥२०॥ १ इस श्लोक के स्थान में B और K में निम्न पाठ है
दुग्धद्रोणयुगं नवाज्यकुडबान् षट् शर्कराद्रोणकानष्टौ चोचफलानि सान्द्रदधिखार्यषट् पुराणत्रयम् ।
श्रीखण्डं ददता नृपेण सवनार्थ षड्जिनागारके षट्त्रिंशत्रिशतेषु मित्र वद मे तद्दत्तदुग्धादिकम् ॥ इब्राह्मणों को २ द्रोण मुद् (kidney-bean),६ कुडव घी, ६ द्रोण चांवल, ८ युग्म ( pairs) कपड़े, ६ बछड़ों सहित गायें और ३ सुवर्ण दिये । हे मित्र ! शीघ्र बतलाओ कि उसने ३३६ ब्राह्मणों को कितनी-कितनी मुद्रादि अन्य वस्तुएँ दी॥१०॥ इस प्रकार अनुक्रम त्रैराशिक प्रकरण समाप्त हुभा। ।
चौथे पाद* के अनुसार व्यस्त त्रैराशिक पर उदाहरणार्थ प्रश्न शुद्ध स्वर्ण के ९० के लिये ९ वर्ण का स्वर्ण कितना होगा, तथा १०१ वर्ण के स्वर्ण की बनी हुई गुंज सहित १०० स्वर्ण (धरण) के लिये (९ वर्ण का स्वर्ण) कितना होगा? ॥१८॥ ६ हस्त लम्बे
और ६ हस्त चौड़े चीनी रेशम के टुकडे ३०० टुकड़े हैं। हे व्यस्त अनुपात की रीति जानने वाले, बतलाओ कि उसी रेशम के ५ हस्त लम्बे, हस्त चौड़े कितने टुकड़े उनमें से मिल सकेंगे ॥१९॥ इस प्रकार व्यस्त त्रैराशिक प्रकरण समाप्त हुमा।
व्यस्त पंचराशिक पर उदाहरणार्थ प्रश्न ९ हस्त लम्बे, ५ हस्व चौड़े .. चीनी रेशम के टुकड़ों में २ हस्त चौड़े और ३ हस्त लम्बे माप के कितने टुकड़े प्राप्त हो सकेंगे रणा पानी की मात्रा निकालने के लिये धन-माप तथा द्रव माप में सम्बन्ध दिया जाना चाहिये था। P में की संस्कृत और B में की कन्नड़ी टीकाओं के अनुसार १ घन अंगुल पानी, द्रव माप में १कर्ष के बराबर होता है। • (१७) एक राशि से दूसरी राशि में सूर्य के पहुँचने के मार्ग को संक्रांति कहते हैं। (१८) शुद्ध स्वर्ण यहाँ १६ वर्ण का लिया गया है। * यहाँ इस अध्याय की दूसरी गाथा के चौथे चतुर्थाश का निर्देश है।