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________________ विषयानुक्रमणिका सूत्रांक विषय पृष्ठांक ३९. गर्भ अध्ययन १. गर्भ आदि पदों का स्वामित्व, २. भव के चतुर्विधत्व का प्ररूपण, ३. गर्भ धारण के विधि-निषेध के कारणों का प्ररूपण, ४. मानुषी गर्भ के चार प्रकारों का प्ररूपण, गर्भगत जीव के नरक और देवों में उत्पन्न होने के कारणों का प्ररूपण, ६. गर्भ में उत्पन्न होते हुए जीव के सइन्द्रिय-सशरीर उत्पत्ति का प्ररूपण, ७. गर्भ में उत्पन्न होते हुए जीव के वर्णादि का प्ररूपण, ८. उदक गर्भ के प्रकार और समय का प्ररूपण, ९. उदक-तिर्यंचयोनिक-मनुष्य स्त्रियों के गर्भ आदि की कायस्थिति का प्ररूपण, १०. गर्भ में स्थित जीव के अवस्थान का प्ररूपण, ११. एक भव ग्रहण की अपेक्षा एक जीव के जनकों का प्रमाण, १२. एक भव ग्रहण की अपेक्षा एक जीव के पुत्रों की संख्या, १३. जीव के शरीर में माता-पिता के अंगों का प्ररूपण, १४. माता-पिता के अंगों की कायस्थिति का प्ररूपण, १५. जीव-चौबीसदंडकों में एकत्व-बहुत्व की विग्रह गति का प्ररूपण, विविध दिशाओं की अपेक्षा एकेन्द्रिय जीवों की विग्रह गति के समय का प्ररूपण, १७. अनंतरोपपत्रक एकेन्द्रिय जीवों की विग्रह गति के समय का प्ररूपण, १८. परंपरोपपन्नक एकेन्द्रिय जीवों की विग्रह गति के समय का प्ररूपण, अणंतरावगाढादि एकेन्द्रिय जीवों की विग्रह गति के समय का प्ररूपण, कृष्ण-नील-कापोतलेश्यी एकेन्द्रिय जीवों की विग्रह गति के समय का प्ररूपण, द्वीप समुद्रों में परस्पर जीवों के जन्म-मरण का प्ररूपण, मरण के भेद-प्रभेदों का प्ररूपण, २३. मरण समय जीव के पाँच निर्याण स्थान और तन्निमित्तक गति का प्ररूपण, २४. अन्तिम शरीर वालों के मरण का प्रमाण, १५४१ १५४१ १५४१-१५४२ १५४२ १५४२-१५४४ १५४४ १५४४ १५४४-१५४५ १५४५ १५४५ १५४५-१५४६ १५४६ १५४६ १५४६ १५४६-१५४७ १५४७-१५५६ १५५७ १५५७ १५५७ १५५७-१५५८ १५५८ १५५८-१५६१ १५६१ १५६१ १६. K०० ४०. युग्म अध्ययन युग्म के भेद और उनके लक्षणों का प्ररूपण, २. चौबीसदंडकों और सिद्धों में युग्म भेदों का प्ररूपण, जघन्यादि पद की अपेक्षा चौबीसदंडकों में और सिद्धों में कृतयुग्मादि का प्ररूपण, जघन्यादि पद की अपेक्षा स्त्रियों में कृतयुग्मादि का प्ररूपण, द्रव्य प्रदेश की अपेक्षा जीव-चौबीसदंडकों और सिद्धों में युग्म-भेदों का प्ररूपण, . प्रदेशावगाढ की अपेक्षा जीव-चौबीसदंडकों और सिद्धों में कृतयुग्मादि का प्ररूपण, ७. स्थिति की अपेक्षा जीव-चौबीसदंडकों और सिद्धों में कृतयुग्मादि का प्ररूपण, वर्णादि के पर्यायों की अपेक्षा जीव-चौबीसदंडकों और सिद्धों में कृतयुग्मादि का प्ररूपण, ९. ज्ञान पर्यायों की अपेक्षा जीव-चौबीसदंडकों और सिद्धों में कृतयुग्मादि का प्ररूपण, १०. अज्ञान पर्यायों की अपेक्षा जीव-चौबीसदंडकों में कृतयुग्मादि का प्ररूपण, १५६३. १५६३-१५६४ १५६४ १५६४-१५६५ १५६५-१५६६ १५६६ १५६६-१५६७ .१५६७ १५६७-१५६८ १५६८ ८. (५३)
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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