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(समर्पण)
स्थानकवासी परम्पवा मान्य बत्तीस आगमों के सर्वप्रथम संस्कृत-हिन्दी-गुजवाती-टीकाकार तथा व्याकरण-कोष-छन्द-अलंकार आदि अनेक विषयों के ग्रन्थों के निर्माता । पवम पूज्य श्रुतधव बहुश्रुत एवं गीतार्थ श्री घासीलाल जी महाराज की पुण्य स्मृति में द्रव्यानुयोग का यह तृतीय खण्ड सादव श्रद्धापूर्वक समर्पित है।
विनीतः उपाध्याय मुनि कन्हैयालाल 'कमल'
महासती मुक्तिप्रभा महासती दिव्यप्रभा
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