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________________ परिशिष्ट : ३ गणितानुयोग १९९३ गणितानुयोग प्रकीर्णक विषय सूची पृष्ठांक• सूत्रांक पृष्ठांक पृष्ठांक सूत्रांक पृष्ठांक लोक २८२ ४५८ (ग) वक्षस्कार पर्वत के कूटों की ऊँचाई और . १७ ३५ (ख) लोक में तीन महान् विशाल हैं १९४० लम्बाई-चौड़ाई का प्ररूपण १९४७ ३४ ६९ (ख) लोक के भेदों का अल्पबहुत्व १९४० २८९ ४८३ (ख) बलकूट को छोड़कर नंदनकूटों की अधोलोक ___ऊँचाई और लम्बाई-चौड़ाई का प्ररूपण १९४७ ३२३ ५८९ (ख) सीता सीतोदा नदियों के प्रवाह दिशा का ३६ ७५ (ख) आठ पृथ्वियाँ १९४१ प्ररूपण १९४७ ३६ ७५ (ग) सभी पृथ्वियों का तीन वलयों से परिवृत्त ३२९ ६०५ (ख) जम्बूद्वीप में नौ योजन के मत्स्यों का प्रवेश १९४७ होने का प्ररूपण १९४१ ३४५ ६४९ (ख) सामान्यतः वेलंधर नागराजों के आवास १०२ (ख) महाहिमवंत-रुक्मी वर्षधर पर्वतों से पर्वतों का प्ररूपण १९४७ सौगंधिक काण्ड का अन्तर १९४१ ३५० ६६५ (ख) सामान्यतः अनुवेलंधर नागराजों के ४७ १०२ (ग) महाहिमवंतकूट से सौगंधिक काण्ड के आवास पर्वतों का प्ररूपण १९४८ अन्तर का प्ररूपण १९४१ ३५२ ६७४ (ख) महापाताल कलशों का रलप्रभा पृथ्वी से ___१०२ (घ) वृत्तवैताढ्य पर्वतों से सौगंधिक अंतर का प्ररूपण १९४८ काण्ड का अन्तर १९४१ ३६१ ७०२ (ख) धातकीखण्ड द्वीप में क्षेत्रादि की ७३ १५४ (ख) नरक और नैरयिकों का परस्पर संख्या का प्ररूपण १९४८ अल्पमहत्तरत्व का प्ररूपण १९४१ ३७४ ७५१ (ख) मांडलिक पर्वतों के नाम १९४८ ८० १६१ (ख) चमरेन्द्र द्वारा नाट्यविधि का उपदर्शन १९४३ ३७५ ७५३ (ख) मानुषोत्तर पर्वत के बाहर चन्द्र-सूर्यों के तिर्यक्लोक अवस्थित योग का प्ररूपण १९४९ ४(ख) तिर्यक् लोक क्षेत्रानुपूर्वी का प्ररूपण १९४३ ४१४ ८४७ (ख) रुचकवर और कुण्डलवर पर्वतों के १२४ ४(क) जम्बूद्वीप वर्णन की संग्रहणी गाथा .१९४४ उद्वेत आदि का प्ररूपण १९४९ ४ (ख) खण्ड गणित के अनुसार जम्बूद्वीप की ४१६ ८९४ (ख) मच्छ कच्छभ आदि बहुल समुद्रों के नाम १९४९ खण्ड संख्या का प्ररूपण १९४४ ४१९ ९०४ (ख) द्वीप सागरांत की स्पर्शना का प्ररूपण १९४९ १२४ ४ (ग) जम्बूद्वीप के क्षेत्रफल प्रमाण का प्ररूपण १९४४ ज्योतिष्क निरूपण १२४ ४ (घ) जम्बूद्वीप की कलाओं का परिमाण १९४४ ४२८ ९२५ (ख) ज्योतिष्क देवों की वर्णक द्वार गाथाएँ १९५० :३१ ३४३ (ख) निषध नीलवंत वर्षधर पर्वतों से रत्नप्रभा ४३१ ९२८ (ख) ज्योतिष्क विमानों की संख्या पृथ्वी का अन्तर १९४४ आदि का प्ररूपण १९५० २३४ ३४८ (ख) वाहर के मंदर पर्वतों की ऊँचाई का ४३४ ९३२ (ख) लवणसमुद्र में नक्षत्र और ग्रहों की प्ररूपण १९४४ संख्या का प्ररूपण १९५० २५७ ४०६ (ख) जम्बूद्वीप में विद्याधरादि श्रेणियों की ४३९ ९३८ (ख) समयक्षेत्र में ज्योतिष्कों के प्ररूपण का अवस्थिति और आकारादि का प्ररूपण १९४४ उपसंहार १९५० २५७ ४०६ (ग) जम्बूद्वीप में विद्याधरादि श्रेणियों की ५५७ ५५६ (ख) उत्तरायणगत सूर्य की मंडलांतर संख्या का प्ररूपण १९४६ गति का प्ररूपण १९५१ २६२ ४१२ (ख) निषध नीलवंत पर्वतों के समीप वक्षस्कार ५६२ ५६ (ख) चन्द्र और सूर्य का परस्पर अंतर पर्वतों की ऊँचाई और गहराई का प्ररूपण १९४६ आदि का प्ररूपण १९५१ २७६ ४४८ (ख) वर्षधर पर्वतों के कूटों से समभूतल का ५६८ ६१(ख) चन्द्र सूर्यों के तापक्षेत्र की वृद्धि हानि के अन्तर १९४६ हेतु का प्ररूपण १९५१ २८२ ४५८ (ख) हरिहरिस्सह कूटों और बलकूट की ५७९ ६८(ख) जम्बूद्वीप के सूर्यों के सूर्यद्वीपों का प्ररूपण १९५१ ऊँचाई आदि का प्ररूपण १९४७ ५९७ ८८(क) नक्षत्रों की वर्णक द्वार गाथा १९५२ • प्रारंभ के पृष्ठांक और सूत्रांक गणितानुयोग के तथा अंतिम पृष्ठांक इसी ग्रंथ के हैं ।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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