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द्रव्यानुयोग-(३)
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४४. चरमाचरम अध्ययन (पृ. १७०८-१७२६) गणितानुयोग
पृ.७४२, सू. ५-लोक के चरमाचरम।
पृ.७४३, सू. ६-अलोक के चरमाचरम। द्रव्यानुयोग
पृ. ११६, सू. २१-चरम-अचरम जीव।
पृ. ११३८, सू. ७९-चरम-अचरम की अपेक्षा आठ कर्मों का बंध। . पृ. १२११, सू. १६९-चरमाचरम की अपेक्षा जीव और चौबीस दंडकों में महाकर्मत्वादी का प्ररूपण।
४५. अजीव द्रव्य अध्ययन (पृ. १७२७-१७४६) गणितानुयोग
पृ. २४, सू. ५५-अजीव के दो प्रकार। पृ. २४, सू. ६०-रूपी अजीव के चार प्रकार। पृ. २४, सू. ६०-अरूपी अजीव के सात प्रकार।
पृ.६५७, सू. ४-अरूपी अजीव के चार प्रकार। द्रव्यानुयोग
पृ. १०, सू. ४-अजीव के भेद। पृ.६५, सू.७-अजीव के पर्याय और परिमाण। पृ. ९४, सू. ४-अजीव परिणाम के भेद। पृ. २२, सू. २०-२२-अजीव के भेद। पृ. ९४, सू. ४-अजीव संस्थान परिणाम। पृ. ५२१, सू. ९-भाषा में अजीवत्व का प्ररूपण। पृ. ५२१, सू. १०-अजीवों के भाषा का निषेध। पृ. ५४0, सू. १३-मन के अजीवत्व का प्ररूपण। पृ. ५४०, सू. १४-अजीवों के मन का निषेध। पृ. १७१४, सू. ६-परिमण्डलादि संस्थानों के चरमाचरमत्व। पृ. १७४३. सू. ९-परिमण्डलादि संस्थानों के सौ भेद।
४६. पुद्गल अध्ययन (प्र. १७४७-१८९२) धर्मकथानुयोग
भाग १, खण्ड १, पृ. १९, सू. ४८-मणियों के वर्ण, गंध, स्पर्श का वर्णन।
भाग १, खण्ड १, पृ. १५५, सू. ३९२-पाँच काम गुण।
भाग २, खण्ड ६, पृ. ३६१, सू. ६४५-अचित्त पुद्गलावभासन उद्योतन सम्बन्धी प्रश्नोत्तर।
भाग २, खण्ड ४, पृ. २०-२२, सू. २०-काले वर्ण की मणी, नीले वर्ण की मणी, लाल वर्ण की मणी, पीले वर्ण की मणी, श्वेत वर्ण की मणी, मणियों की गंध, मणियों का स्पर्श सम्बन्धी वर्णन।
भाग २, खण्ड ६, पृ. १६६, सू. ३५३-पुद्गल को पकड़ने की शक्ति के सम्बन्ध में प्रश्नोत्तर। गणितानुयोग
पृ. ५७, सू. १२३ (२)-अधोलोक में अनन्त वर्णादि पर्यव।
प्र.७१२. सू. ३४-पुद्गल परावर्त के भेदों का प्ररूपण।
पृ. ७१२, सू. ३५-परमाणु पुद्गलों के अनन्तानन्त पुद्गल परावर्तों का प्ररूपण।
पृ.७१२, सू. ३६-पुद्गल परावर्त के सात भेदों का प्ररूपण। द्रव्यानुयोग
पृ. ११, सू. ६-पुद्गल का लक्षण। पृ. ११, सू.७-सर्व द्रव्यों में वर्ण, गंध, रस, स्पर्श। पृ. २५, सू. २८-जीव और पुद्गल आदि का अल्पबहुत्व। पृ. ३०, सू.७-पंचास्तिकायों में वर्णादि का प्ररूपण।
पृ. ४०-४५, सू. ५-वर्ण, गंध, रस और स्पर्श की अपेक्षा पर्यायों का परिमाण।
पृ. ४८-६५, सू. ६-जघन्य, उत्कृष्ट, अजघन्य अनुत्कृष्ट वर्ण, गंध, रस, स्पर्श वाले नैरयिक, तिर्यञ्च मनुष्य और देव के पर्यायों के परिमाण।
पृ. ६६, सू. ८-परमाणु पुद्गलों के पर्यायों के परिमाण । पृ.६७, सू. ९-स्कन्धों के पर्यायों का परिमाण।
पृ. ६९, सू. १०-एकादिप्रदेशावगाढ़ पुद्गलों के पर्यायों का परिमाण।
पृ.७१, सू. १२-एकादिगुणयुक्त वर्ण, गंध, रस और स्पर्श वाले पुद्गलों के पर्यायों का परिमाण। (पृ. ७१, सू. ११ व १३ से १९ में भी पर्यायों के परिमाण परमाणु पुद्गल हैं।)
पृ. ९५, सू. ४-वर्ण, गंध, रस, स्पर्श परिणाम के प्रकार।
पृ. ३३, सू. १२-पुद्गलास्तिकाय के प्रदेशों में द्रव्य और द्रव्यदेशों का प्ररूपण।
पृ. ९५, सू. ४-शब्द परिणाम के प्रकार। पृ. २५, सू. २८-पुद्गल आदि का अल्पबहुत्व। पृ.१९५, सू. ९८-चौबीस दंडक में समान वर्ण।
पृ. ३६०, सू. १२-चौबीस दंडकों के जीवों द्वारा पुद्गलों का आहरण, निर्जरण।
पृ. ३६०, सू. १३-चौबीस दंडकों में निर्जरा पुदगलों के जानने-देखने और आहरण का प्ररूपण।
पृ. ३९६, सू. ४-शरीरों का पुद्गल चयन। पृ. ४६५, सू. २१-पुद्गलों के ग्रहण द्वारा वर्णादि का प्ररूपण।
पृ. ४६४, सू. १९-पुद्गलों के ग्रहण द्वारा विकुर्वणाकरण परिणमन।
पृ. ७२०, सू. १२६-छद्मस्थादि द्वारा परमाणु पुद्गलादि का जानना-देखना।
पृ. ५५९, सू. ९-पुद्गल गति का स्वरूप। पृ.७२१, सू. १२७-निर्जरा पुद्गलों का जानना-देखना। पृ. ७३२, सू. १४९-नैगमादि नयों से परमाणु पुद्गलादि के
भंग।
पृ. ८५९, सू. २१-सलेश्य चौबीस दंडकों में सभी समान वर्ण वाले नहीं हैं।
पृ. १२०८, सू. १६४-आठ कर्मों में वर्णादि का प्ररूपण। पृ. १२८१, सू. ३६-उत्पल पत्र में वर्ण, गंध आदि।
पृ. १४०७, सू. २८-वैमानिक देवों के शरीरों के वर्ण, गंध और स्पर्श।