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________________ श्री बाबूलाल जी कटारिया, सारण (मारवाड़) आप श्री केवलचन्द जी कटारिया के सुपुत्र हैं। हैदराबाद में आपका इलैक्ट्रिक सामान का व्यवसाय है। आपके दो सुपुत्र तथा एक सुपुत्री है। आगम अनुयोग ट्रस्ट के आप सक्रिय सहयोगी हैं। श्री धनराज जी डांगी, फतेहगढ़-सरवाड़ (अजमेर) आप स्थानीय संघ के प्रमुख कार्यकर्ता हैं। धर्म के प्रति गहरी श्रद्धा-भावना रखते हैं । पूज्य गुरुदेवश्री के प्रति आपकी अनन्य आस्था है । मद्रास, अहमदाबाद, ब्यावर, दिल्ली आदि में - आपके व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं । आगम अनुयोग ट्रस्ट के आप सहयोगी हैं। श्री सज्जनराज जी जैन, सिकन्दराबाद आप मूल बगड़ी (राज.) निवासी हैं। श्री मिश्रीलाल जी कटारिया के सुपुत्र हैं। वर्तमान में सिकन्दराबाद में बहुत अच्छा व्यवसाय है। सिकन्दराबाद संघ के उदारमना, सेवाभावी, कार्यकर्ता तथा अनेक संस्थाओं के अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। स्व. पूज्य गुरुदेव श्री मरुधर केसरी जी म. के परम श्रद्धालु भक्त हैं। आपकी धर्मपत्नी शारदा देवी व सुपुत्र महेन्द्र कुमार, सुरेन्द्र कुमार, राजेन्द्र कुमार भी धर्म भावना वाले हैं। श्री विजयराज जी गादिया, रिड़ आप मूलतः कुड़की निवासी हैं। धर्मप्रेमी सुश्रावक श्री गोपीचंद जी सा. एवं श्रीमती एंजनकंवर बाई के दत्तक पुत्र हैं। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती जतन के वर जी भी बहुत भावनाशील हैं। श्री गादिया सा. पूज्य गुरुदेव के अनन्य भक्त हैं। बहुत ही उदार भावना वाले हैं। वर्तमान में कुड़की ही रहते हैं व किशनगढ़ में आपका मार्बल का व्यवसाय है। आपके सुपुत्र पदमचंद जी आदि की भी धर्म में रुचि है। आप ट्रस्ट के सम्माननीय सदस्य हैं। श्री मदनलाल जी जैन, भटिंडा (पंजाब) आप सुप्रसिद्ध श्रद्धालु सेठ श्री रामलाल जी जैन (अम्बाला सिटी) के सुपुत्र हैं। उत्तर भारत के कोटन एवं टेक्सटाइल्स व्यवसाय में आपका प्रमुख स्थान है । लुधियाना, भटिंडा, अम्बाला, डब्बावाली आदि क्षेत्रों में आपके व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं। देव-गुरु-धर्म के प्रति आपकी गहरी आस्था है। भटिंडा स्थानकवासी संघ के आप अध्यक्ष हैं तथा अनेक सामाजिक संस्थाओं से सम्बद्ध हैं। श्री सुमन मुनि जी म. की प्रेरणा से आपट्रस्ट के सहयोगी सदस्य बने। श्री शिवराज जी बम्ब, पीह (मारवाड़) आप बहुत धर्म श्रद्धालु, उदार हृदयी श्रावक हैं। प्रतिदिन सामायिक आदि धार्मिक क्रियाएँ करते हैं। आपकी धर्मपत्नी जी भी स्वाध्याय आदि में विशेष रुचि रखती हैं। आपके सुपुत्र उत्तमचन्द जी आदि सभी धर्मप्रेमी हैं। आपके भाई भीवराज जी आदि का हैदराबाद में व्यवसाय है तथा वहाँ पर स्थानक भी बनवाया है। आगम अनुयोग ट्रस्ट के आप सहयोगी हैं। అంతరులు పరువు పోయడం ప్రతి ప్రతి ప్రాంతాల ప్రతా ఎంత డామడా తాము అంతకులు ఎంత
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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