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________________ पुद्गल अध्ययन १७९९ एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ। एवं जावअहवा-एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ। अहवा-एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ। अहवा-एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति। अहवा-एगयओ दुपएसिएखंधे, एगयओ दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति। एवं जावअहवा-एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे, एगयओ दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति। अहवा-तिन्नि असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति। चउहा कज्जमाणेएगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ। एवं चउक्कगसंजोगो जाव दसगसंजोगो एए जहेव संखेज्जपएसियस्स। णवरं-असंखेज्जगं एगं अहिगं भाणियव्वं जाव अहवा-दस असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति। संखेज्जहा कज्जमाणेएगयओ संखेज्जा परमाणुपोग्गला, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ। अहवा-एगयओ संखेज्जा दुपएसिया खंधा, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ। एवं जावअहदा-एगयओ संखेज्जा दसपएसिया खंधा, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ। अहवा-एगयओ संखेज्जा संखेज्जपएसिया खंधा, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ। अहवा-संखेज्जा असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति। असंखेज्जहा कज्जमाणे असंखेज्जा परमाणुपोग्गला भवंति। प. अणंता णं भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति एगयओ साहण्णित्ता किं भवइ? उ. गोयमा ! अणंतपएसिए खंधे भवइ। से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि जाव दसहा वि संखेज्जहा, असंखेज्जहा, अणंतहा वि कज्जइ। एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है। इसी प्रकार यावत्अथवा- एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर दस-प्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर दो असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। अथवा-एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर दो असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। इसी प्रकार यावत्अथवा-एक ओर एक संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध, एक ओर दो असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। अथवा-तीन असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। चार विभाग किये जाने परएक ओर तीन परमाणु-पुद्गल, एक ओर एक असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है। इसी प्रकार चतुःसंयोगी से दस संयोगी पर्यन्त के विकल्प संख्यात-प्रदेशी के समान कहना चाहिए। विशेष-असंख्यात शब्द अधिक कहना चाहिए यावत्अथवा-दस असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। संख्यात विभाग किये जाने परएक ओर संख्यात परमाणु-पुद्गल, एक ओर असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर संख्यात द्विप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है। इसी प्रकार यावत्अथवा-एक ओर संख्यात दस प्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर संख्यात-संख्यातप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-संख्यात-असंख्यात-प्रदेशी स्कन्ध होते हैं। असंख्यात विभाग किये जाने पर असंख्यात परमाणु-पुद्गल होते हैं। प्र. भंते ! अनन्त परमाणु-पुद्गल एक साथ मिलते हैं और एक साथ मिलने पर क्या होता है? उ. गौतम ! अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध होता है। उसके विभाग किये जाने पर दो तीन यावत् दस, संख्यात, असंख्यात और अनन्त विभाग होते हैं।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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