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________________ १७९६ अहवा-एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति, अहवा-एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति। सत्तहा कज्जमाणेएगयओछपरमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति। अट्टहा कज्जमाणेएगयओ सत्त परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओछ परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति। नवहा कज्जमाणेएगयओ अट्ठ परमाणुपोग्ला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ, दसहा कज्जमाणे दस परमाणुपोग्गला भवंति। प. संखेज्जा भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहन्नति एगयओ साहण्णित्ता किं भवइ? उ. गोयमा ! संखेज्जपएसिए खंधे भवइ, से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि, संखेज्जहा वि कज्जइ। . दुहा कज्जमाणेएगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवइ, अहवा-एगयओ तिपएसिएखंधे, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवइ, एवं जावअहवा-एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवइ, द्रव्यानुयोग-(२) अथवा-एक ओर चार परमाणु पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर चार परमाणु पुद्गल, एक ओर दो त्रिप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। अथवा-एक ओर तीन परमाणु पुद्गल, एक ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर दो परमाणु पुद्गल, एक ओर चार द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। सात विभाग किये जाने परएक ओर छह परमाणु पुद्गल, एक ओर एक चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर पाँच परमाणु पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर चार परमाणु पुद्गल, एक ओर तीन द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। आठ विभाग किये जाने परएक ओर सात परमाणु पुद्गल, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर छह परमाणु पुद्गल, एक ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। नौ विभाग किये जाने परएक ओर आठ परमाणु पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध होता है। दस विभाग किये जाने परदस परमाणु पुद्गल होते हैं। प्र. भंते ! संख्यात परमाणु पुद्गल एक साथ मिलते हैं और एक साथ मिलने पर क्या होता है? उ. गौतम ! संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है। उसके विभाग किये जाने पर दो यावत् दस और संख्यात विभाग होते हैं। दो विभाग किये जाने परएक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है। इसी प्रकार यावत्अथवा- एक ओर दस प्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है।
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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