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________________ पुद्गल अध्ययन १७६१ जइ दुफासेजहेव परमाणु पोग्गले ४, जइ तिफासे१. सव्वे सीए, देसे निद्धे, देसे लुक्खे, २. सव्वे सीए, देसे निद्धे, देसा लुक्खा, ३. सव्वे सीए, देसा निद्धा, देसे लुक्खे, ४. सव्वे सीए, देसा निद्धा, देसा लुक्खा, ५-८.सव्वे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे,एवं भंगा ४ ९-१२. सव्वे निद्धे,देसे सीए, देसे उसिणे, एवं भंगा ४, १३-१६. सव्वे लुक्खे,देसे सीए,देसे उसिणे,एवं भंगा ४, एए तिफासे सोलस भंगा। जइ चउफासे१. देसे सीए, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे, २. देसे सीए, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसा लुक्खा, ३. देसे सीए, देसे उसिणे, देसा निद्धा, देसे लुक्खे, यदि दो स्पर्श वाला हो तोउसके परमाणु पुद्गल के समान चार भंग कहने चाहिए। यदि तीन स्पर्श वाला हो तो१. सर्वशीत, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है, २. सर्वशीत, एक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं, ३. सर्वशीत, अनेक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है, ४. सर्वशीत, अनेक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं, ५-८. इसी प्रकार सर्व उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है ये चार भंग होते हैं। ९-१२. सर्व स्निग्ध, एक अंश शीत और एक अंश उष्ण होता है ये चार भंग होते हैं, १३-१६. सर्वरुक्ष, एक अंश शीत और एक अंश उष्ण होता है ये चार भंग होते हैं। इस प्रकार तीन स्पर्श के त्रिकसंयोगी १६ भंग होते हैं। यदि चार स्पर्श वाला हो तो१. उसका एक अंश शीत, एक अंश उष्ण; एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। २. एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं। ३. एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, अनेक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं। ४. एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, अनेक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं। ५. एक अंश शीत, अनेक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। ६. एक अंश शीत, अनेक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं। ७. एक अंश शीत, अनेक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। ८. एक अंश शीत, अनेक अंश उष्ण, अनेक अंश स्निग्ध और अनक अंश रुक्ष होते हैं। ९. अनेक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। इस प्रकार चार स्पर्श के सोलह भंग अनेक अंश शीत, अनेक अंश उष्ण, अनेक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं पर्यन्त कहना चाहिए। इस प्रकार ये स्पर्श के ३६ भंग होते हैं। (इस प्रकार चतुष्प्रदेशी स्कन्ध में वर्ण के ९०, गंध के ६, रस के ९० और स्पर्श के ३६ ये सब मिलाकर २२२ भंग होते हैं।) प्र. भंते ! पंचप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, गंध, रस और स्पर्श वाला कहा गया है? उ. गौतम ! कदाचित् एक वर्ण वाला यावत् कदाचित् पांच वर्ण ४. देसे सीए, देसे उसिणे, देसा निद्धा, देसा लुक्खा, ५. देसे सीए, देसा उसिणा, देसे निद्धे, देसे लुक्खे, ६. देसे सीए, देसा उसिणा, देसे निद्धे, देसा लुक्खा, ७. देसे सीए, देसा उसिणा, देसा निद्धा, देसे लुक्खे, देसे सीए, देसा उसिणा, देसा निद्धा, देसा लुक्खा, ९. देसा सीया, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे। एवं एए चउफासे सोलस भंगा भाणियव्या जाव देसा सीया, देसा उसिणा, देसा निद्धा, देसा लुक्खा। सव्वे एए फासेसु छत्तीसं भंगा। प. पंचपएसिए णं भंते ! खंधे कइवन्ने, कइगंधे, कइरसे, कइफासे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! सिय एगवण्णे जाव सिय पंचवण्णे, वाला,
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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