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________________ १७४४ गंधओ- १. सुब्धिगंध परिणया वि २. दुब्भिगंधपरिणया वि । रसओ- १. तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि. ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि फासओ- १. कक्खडफासपरिणया वि २. मउयफासपरिणया वि, ३. गरुयफासपरिणया वि, ४. लहुयफासपरिणया वि, ५. सीयफासपरिणया वि ६. उसिणफासपरिणया वि, ७. निफासपरिणया वि, ८. तुक्खफासपरिणया वि' । ३. जे संठाणओ तंसठाणपरिणया ते वण्णओ - १. कालवण्णपरिणया वि, २. नीलवण्णपरिणया वि, ३. लोहियवण्णपरिणया वि ४. हालिद्दवण्णपरिणया वि, ५. सुक्किलवण्णपरिणया वि गंधओ- १. सुभिगंधपरिणया वि. २. दुब्बिगंधपरिणया वि रसओ- १. तित्तरसपरिणया वि २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि. ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महररसपरिणया वि फासओ - १. कक्खडफासपरिणया वि, २. मउयफासपरिणया वि. ३. गरुयफासपरिणया वि. ४. लहुयफासपरिणया वि, ५. सीयफासपरिणया वि ६. उसिणफासपरिणया वि, ७. निद्धफासपरिणया वि, ८. लुक्खफासपरिणया विरे । ४. जे संठाणओ चउरंससंठाणपरिणया ते वण्णओ- १. कालवण्णपरिणया वि, २. नीलवण्णपरिणया वि, ३. लोहियवण्णपरिणया वि १. संठाणओ भवे वट्टे, भइए से उ वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए फासओ विय ॥ - उत्त. अ. ३६, गा. ४३ वे गन्ध से १. सुगन्ध परिणत भी हैं. २. दुर्गन्ध - परिणत भी हैं। वे रस से - १. तिक्तरस-परिणत भी हैं, २. कटुरस-परिणत भी हैं. ३. कषायरस - परिणत भी हैं, ४. अम्लरस - परिणत भी हैं, ५. मधुररस-परिणत भी है। वे स्पर्श से १. कर्कशस्पर्श-परिणत भी हैं, २. मृदुस्पर्श- परिणत भी हैं, ३. गुरुस्पर्श- परिणत भी हैं, ४. लघुस्पर्श- परिणत भी हैं, ५. शीतस्पर्श - परिणत भी हैं, ६. उष्णस्पर्श-परिणत भी हैं. ७. स्निग्धस्पर्श-परिणत भी हैं, ८. रूक्षस्पर्श-परिणत भी हैं। ३. जो संस्थान से त्र्यनसंस्थान - परिणत हैं, वे वर्ण से १. कृष्णवर्ण-परिणत भी हैं, २. नीलवर्ण परिणत भी हैं, ३. रक्तवर्ण- परिणत भी हैं, ४. पीतवर्ण- परिणत भी हैं, ५. शुक्लवर्ण- परिणत भी हैं। वे गन्ध से - १. सुगन्ध - परिणत भी हैं, २. दुर्गन्ध परिणत भी है। वे रस से 9. तिक्तरस परिणत भी हैं, २. कटुरस - परिणत भी हैं, ३. कषायरस परिणत भी हैं, ४. अम्लरस - परिणत भी हैं, ५. मधुररस परिणत भी है। वे स्पर्श से - १. कर्कशस्पर्श-परिणत भी हैं, २. मृदुस्पर्श- परिणत भी हैं, ३. गुरुस्पर्श- परिणत भी हैं, ४. लघुस्पर्श-परिणत भी हैं, ५. शीतस्पर्श-परिणत भी हैं. ६. उष्णस्पर्श-परिणत भी हैं, ७. स्निग्धस्पर्श परिणत भी हैं, ८. रूक्षस्पर्श-परिणत भी हैं। द्रव्यानुयोग - (३) ४. जो संस्थान से चतुरस्रसंस्थान- परिणत हैं, वे वर्ण से १. कृष्णवर्ण-परिणत भी हैं, २. नीलवर्ण-परिणत भी है, ३. रक्तवर्ण-परिणत भी है, २. संठाणओ भवे तंसे, भइए से उ वण्णओ। गंध रसओ चेव, भइ फासओ विय ॥ - उत्त. अ. ३६, गा. ४४
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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