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________________ १७४२ संठाणओ- १. परिमंडलठाणपरिणया वि २. वट्टसंठाणपरिणया वि. ३. तंससंठाणपरिणया वि, ४. चउरंसठाणपरिणया वि ५. आयतसंठाणपरिणया वि' । ७. जे फासओ निद्धफासपरिणया ते यण्णओ- १. कालवण्णपरिणया वि २. नीलवण्णपरिणया वि, ३. लोहियवण्णपरिणया वि, ४. हालिद्दवण्णपरिणया वि, ५. सुक्किलवण्णपरिणया वि। गंधओ - १. सुब्भिगंध परिणया वि, २. दुब्बिगंधपरिणया वि रसओ- १. तितरसपरिणया वि २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि ४. अबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि । फासओ १. कक्खडफासपरिणया वि २. मउयफासपरिणया वि, ३. गरुयफासपरिणया वि, ४. लहुयफासपरिणया वि. ५. सीयफासपरिणया वि, ६. उसिणफासपरिणया वि संठाणओ- १. परिमंडलापरिणया वि २. वट्टसंठाणपरिणया वि ३. तंससंठाणपरिणया वि. ४. चउरंससंठाणपरिणयां वि, ५. आयतसंठाणपरिणया विरे । ८. जे फासओ लुक्खफासपरिणया ते वण्णओ - १. कालवण्णपरिणया वि, २. नीलवण्णपरिणया वि, ३. लोहिययणपरिणया वि. ४. हालिद्दवण्णपरिणया वि. ५. सुक्किलवण्णपरिणया वि। गंधओ- १. सुब्धिगंधपरिणया वि २. दुब्भिगंधपरिणया वि। रसओ- १. तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि, १. फासओ उण्हए जे उ, भइए से उ वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओ विय ॥ -उत्त. अ. ३६, गा. ३९ वे संस्थान से १ परिमण्डलसंस्थान- परिणत भी है, २. वृत्तसंस्थान - परिणत भी हैं, ३. त्र्यनसंस्थान- परिणत भी हैं, ४. चतुरस्रसंस्थान - परिणत भी हैं, ५. आयतसंस्थान - परिणत भी हैं। ७. जो स्पर्श से स्निग्धस्पर्श-परिणत हैं. वे वर्ण से १. कृष्णवर्ण-परिणत भी है, २. नीलवर्ण-परिणत भी हैं, ३. रक्तवर्ण - परिणत भी हैं, ४. पीतवर्ण-परिणत भी हैं. ५. शुक्लवर्ण- परिणत भी हैं। वे गन्ध से १. सुगन्ध परिणत भी है, २. दुर्गन्ध परिणत भी हैं। ये रस से १. तिक्तरस-परिणत भी है, २. कटुरस- परिणत भी हैं, ३. कषायरस - परिणत भी हैं, ४. अम्लरस - परिणत भी हैं, ५. मधुररस - परिणत भी हैं। ये स्पर्श से १. कर्कशस्पर्श-परिणत भी हैं, २. मृदुस्पर्श-परिणत भी हैं, ३. गुरुस्पर्श- परिणत भी हैं. ४. लघुस्पर्श-परिणत भी हैं, ५. शीतस्पर्श-परिणत भी हैं, ६. उष्णस्पर्श-परिणत भी हैं। वे संस्थान से १ परिमण्डलसंस्थान- परिणत भी हैं. २. वृत्तसंस्थान परिणत भी है. ३. त्र्यनसंस्थान - परिणत भी हैं, ४. चतुरनसंस्थान परिणत भी हैं. ५. आयतसंस्थान - परिणत भी हैं। द्रव्यानुयोग - (३) ८. जो स्पर्श से रूक्षस्पर्श-परिणत हैं, वे वर्ण से - १. कृष्णवर्ण-परिणत भी हैं, २. नीलवर्ण-परिणत भी हैं. ३. रक्तवर्ण- परिणत भी हैं, ४. पीतवर्ण-परिणत भी हैं, ५. शुक्लवर्ण- परिणत भी है। वे गन्ध से - १. सुगन्ध - परिणत भी हैं, २. दुर्गन्ध- परिणत भी हैं। वे रस से १. तिक्तरस परिणत भी है. २. कटुरस- परिणत भी हैं, ३. कषायरस - परिणत भी हैं, २. फासओ निद्धए जे उ, भइए से उ वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओ विय ॥ -उत्त. अ. ३६, गा. ४०
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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