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________________ १७४० ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि। फासओ-१.कक्खडफासपरिणया वि, २. मउयफासपरिणया वि, ३. सीयफासपरिणया वि, ४. उसिणफासपरिणया वि, ५. निद्धफासपरिणया वि, ६. लुक्खफासपरिणया वि। संठाणओ-१.परिमंडलसंठाणपरिणया वि, २. वट्टसंठाणपरिणया वि, ३. तंससंठाणपरिणया वि, ४. चउरंससंठाणपरिणया वि, ५. आयतसंठाणपरिणया वि। ४. जे फासओ लहुयफासपरिणयाते वण्णओ-१.कालवण्णपरिणया वि, २. नीलवण्णपरिणया वि, ३. लोहियवण्णपरिणया वि, ४. हालिद्दवण्णपरिणया वि, ५. सुक्किलवण्णपरिणया वि, गंधओ-१.सुब्भिगंधपरिणया वि, २. दुब्भिगंधपरिणया वि। रसओ-१.तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि, ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि। फासओ-१.कक्खडफासपरिणया वि, २. मउयफासपरिणया वि, ३. सीयफासपरिणया वि, ४. उसिणफासपरिणया वि, ५. निद्धफासपरिणया वि, ६. लुक्खफासपरिणया वि। संठाणओ-१.परिमंडलसंठाणपरिणया वि, २. वट्टसंठाणपरिणया वि, ३. तंससंठाणपरिणया वि, ४. चउरंससंठाणपरिणया वि, ५. आयतसंठाणपरिणया विरे। ५.जे फासओ सीयफासपरिणयाते वण्णओ-१.कालवण्णपरिणया वि, २. नीलवण्णपरिणया वि, १. फासओ गरुएजे उ, भइए से उवण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओ विय॥ -उत्त.अ.३६, गा.३६ द्रव्यानुयोग-(३) ) ४. अम्लरस-परिणत भी हैं, ५. मधुररस-परिणत भी हैं। वे स्पर्श से- १. कर्कशस्पर्श-परिणत भी हैं, २. मृदुस्पर्श-परिणत भी हैं, ३. शीतस्पर्श-परिणत भी हैं, ४. उष्णस्पर्श-परिणत भी हैं, ५. स्निग्धस्पर्श-परिणत भी हैं, ६. रूक्षस्पर्श-परिणत भी है। वे संस्थान से-१. परिमण्डलसंस्थान-परिणत भी हैं, २. वृत्तसंस्थान-परिणत भी हैं, ३. त्र्यम्नसंस्थान-परिणत भी हैं, ४. चतुरनसंस्थान-परिणत भी हैं, ५. आयतसंस्थान-परिणत भी हैं। ४. जो स्पर्श से लघुस्पर्श-परिणत हैं, वे वर्ण से- १. कृष्णवर्ण-परिणत भी हैं, २. नीलवर्ण-परिणत भी हैं, ३. रक्तवर्ण-परिणत भी हैं, ४. पीतवर्ण-परिणत भी हैं, ५. शुक्लवर्ण-परिणत भी हैं। वे गन्ध से-१. सुगन्ध-परिणत भी हैं, २. दुर्गन्ध-परिणत भी हैं। वे रस से-१. तिक्तरस-परिणत भी हैं, २. कटुरस-परिणत भी हैं, ३. कषायरस-परिणत भी हैं, ४. अम्लरस-परिणत भी हैं, ५. मधुररस-परिणत भी हैं। वे स्पर्श से-१. कर्कशस्पर्श-परिणत भी हैं, २. मृदुस्पर्श-परिणत भी हैं, ३. शीतस्पर्श-परिणत भी हैं, ४. उष्णस्पर्श-परिणत भी हैं, ५. स्निग्धस्पर्श-परिणत भी हैं, ६. रूक्षस्पर्श-परिणत भी हैं। वे संस्थान से-१. परिमण्डलसंस्थान-परिणत भी हैं, २. वृत्तसंस्थान-परिणत भी हैं, ३. त्र्यनसंस्थान-परिणत भी हैं, ४. चतुरनसंस्थान-परिणत भी हैं, ५. आयतसंस्थान-परिणत भी हैं। ५. जो स्पर्श से शीतस्पर्श-परिणत हैं, वे वर्ण से- १. कृष्णवर्ण-परिणत भी हैं, २. नीलवर्ण-परिणत भी हैं, फासओ लहुए जे उ, भइए से उ वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओ वि य॥ -उत्त. अ.३६, गा. ३७
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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