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________________ १४४४ किं पज्जत्तएहिंतो उववज्जति? अपज्जत्तएहिंतो उववज्जति? उ. गोयमा ! पज्जत्तय-सम्मुच्छिमेहिंतो उववज्जति, नो अपज्जत्तय-सम्मुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर-पंचेंदिय -तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति। प. जइ गब्भवक्कंतिय-उरपरिसप्प-थलयर-पंचेंदिय तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, किं पज्जत्तएहिंतो उववज्जति? अपज्जत्तएहिंतो उववज्जति? उ. गोयमा ! पज्जत्तए-गब्भवक्कंतिएहिंतो उववज्जंति, नो अपज्जत्तए-गब्भवक्कंतिय-उरपरिसप्प-थलयरपंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति। प. जइ भुयपरिसप्प-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, किं सम्मुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति? गब्भवक्कंतिय-भुयपरिसप्पथलयर-पंचेंदिय तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति? उ. गोयमा ! दोहिंतो वि उववज्जति। प. जइ सम्मुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयर-पंचेंदिय-तिरिक्ख जोणिएहिंतो उववज्जति, किं पज्जत्तय-सम्मुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयर-पचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति? अपज्जत्तय-सम्मुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयर-पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति? उ. गोयमा ! पज्जत्तएहिंतो उववजंति, नो अपज्जत्तएहिंतो उववज्जति। प. जइ गब्भवक्कंतिय-भुयपरिसप्प थलयर-पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, किं पज्जत्तएहिंतो उववज्जति? अपज्जत्तएहिंतो उववज्जति? उ. गोयमा ! पज्जत्तएहिंतो उववज्जति, नो अपज्जत्तएहिंतो उववज्जति। प. जइ खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, द्रव्यानुयोग-(२) तो क्या पर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? या अपर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं? उ. गौतम ! (वे) पर्याप्तक-सम्मूर्छिमों में से आकर उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) अपर्याप्तक-सम्मूर्छिम-उरःपरिसर्प-स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. यदि (वे) गर्भज-उर परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्च योनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या (वे) पर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? या अपर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम ! वे पर्याप्तक-गर्भजों में से आकर उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) अपर्याप्तक-गर्भज-उर परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. यदि (वे) भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय -तिर्यञ्चयोनिकों में से उत्पन्न होते हैं, तो क्या (वे) सम्मूर्छिम-भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं या गर्भज-भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम !(वे) दोनों में से आकर उत्पन्न होते हैं। प्र. यदि सम्मूर्छिम-भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्च योनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या (वे) पर्याप्तक-सम्मूर्छिम-भुजपरिसर्प-स्थलचरपंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? या अपर्याप्तक-सम्मूर्छिम-भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं? उ. गौतम !(वे) पर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) अपर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. यदि गर्भज-भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या (वे) पर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं या अपर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम ! पर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) अपर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. यदि खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या सम्मूर्छिम खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं या गर्भज खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं? उ. गौतम ! ये दोनों में से आकर ही उत्पन्न होते हैं। प्र. यदि सम्मूर्छिम खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों में से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या (वे) पर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं? या अपर्याप्तकों में से आकर उत्पन्न होते हैं? किं सम्मुच्छिम-खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति? गब्भवक्कंतिय-खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति? उ. गोयमा ! दोहिंतो वि उववजंति। प. जइ सम्मुच्छिम-खहयर-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, किं पज्जत्तएहिंतो उववज्जति? अपज्जत्तएहिंतो उववज्जति?
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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