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समर्पण
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जिन्होंने सर्वप्रथम सभी आगमों का सानुवाद सम्पादन करने में, तथा जैन तत्व प्रकाश आदि अनेक ग्रन्थों के निर्माण हेतु सारा जीवन समर्पित किया ऐसे महान् श्रुतधर बहुश्रुत एवं गीतार्थ आचार्य प्रवर श्री अमोलक ऋषि मी महाराज की स्मृति में द्रव्यानुयोग का यह द्वितीय खण्ड श्रद्धाञ्जलि रूप समर्पित है।
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-उपाध्याय मुनि कन्हैयालाल 'कमल'
महासती मुक्तिप्रभा महासती दिव्यप्रभा