SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 562
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मनुष्य गति अध्ययन (२) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा , १. णिसीयामीतेगे सुमणे भवइ, २. णिसीयामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. निसीयामीतेगे णोमणे गोदुम्मणे भवइ । (३) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. णिसीइस्सामीतेगे सुमणे भवइ, २. णिसीइस्सामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. णिसीइस्सामीतेगे णोसुमणे - णोदुम्मणे भवइ । (४) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. अणिसिइत्ता णामेगे सुमणे भवइ, २. अणिसिइत्ता णामेगे दुम्मणे भवइ, ३. अणिसिइत्ता णामेगे णोसुमणे- गोदुम्मणे भवइ । (५) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. ण णिसीयामीतेगे सुमणे भवद्द, २. ण णिसीयामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. ण णिसीयामीतेगे णोसुमणे- णोदुम्मणे भवइ । (६) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा१. ण णिसीइस्सामीतेगे सुमणे भवइ, २. ण णिसीइस्सामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. ण णिसीइस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवइ । -ठाणं. अ. ३, उ. २, सु. १६८ (२०-२५) ६. हनन विक्खया पुरिसाणं सुमनस्साइ तिविहत परूवणं (१) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. हंता णामेगे सुमणे भवइ, २. हंता णामेगे दुम्मणे भवइ, ३. हंता णामेगे णोमणे-नोदुम्मणे भवइ । (२) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. हणामीतेगे सुमणे भवइ, २. हणामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. हणामीतेगे णोसुमणे- गोदुम्मणे भवइ । (३) तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा १. हणिस्सामीतेगे सुमणे भवइ, २. हणिस्सामीतेगे दुम्मणे भवइ, ३. हणिस्सामीतेगे णोमणे गोदुम्मणे भवइ । (२) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, , यथा१. कुछ पुरुष बैठता हूँ इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष बैठता हूँ इसलिए दुर्मनस्क होते है, ३. कुछ पुरुष बैठता हूँ इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। (३) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष बैदूंगा इसलिए सुम्पन होते हैं, २. कुछ पुरुष बैठूंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष बैदूंगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। १३०१ (४) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष न बैठने पर सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न बैठने पर दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष न बैठने पर न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। (५) घुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष न बैठता हूँ इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न बैठता हूँ इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष न बैठता हूँ इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मक होते हैं। (६) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष नहीं बैठूंगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष नहीं बैठूंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष नहीं बैदूंगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। ६. हनन की विवक्षा से पुरुषों के सुमनस्कादि त्रिविधत्व का प्ररूपण (१) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष मारने के बाद सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष मारने के बाद दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष मारने के बाद न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। (२) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष मारता हूँ इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष मारता हूँ इसलिए दुर्मनस्क होते हैं. ३. कुछ पुरुष मारता हूँ इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। (३) पुरुष तीन प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. कुछ पुरुष मारूँगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष मारूँगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष मारूँगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं।
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy