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________________ १२७४ द्रव्यानुयोग-(२) २६. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा २६. (उससे) उसी के पर्याप्त की उत्कृष्ट अवगाहना विसेसाहिया। विशेषाधिक है। २७. बादर वाउक्काइयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया २७. (उससे) पर्याप्त बादर वायुकायिक की जघन्य अवगाहना ओगाहणा असंखेज्जगुणा। असंख्यातगुणी है। २८. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा २८. (उससे) उसी के अपर्याप्त की उत्कृष्ट अवगाहना विसेसाहिया। विशेषाधिक है। २९. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा २९. (उससे) उसी के पर्याप्त की उत्कृष्ट अवगाहना विसेसाहिया। विशेषाधिक है। ३०. बादर तेउकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया ३०. (उससे) पर्याप्त बादर अग्निकायिक की जघन्य ओगाहणा असंखेज्जगुणा। अवगाहना असंख्यातगुणी है। ३१. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा ३१. (उससे) उसी के अपर्याप्त की उत्कृष्ट अवगाहना विसेसाहिया। विशेषाधिक है। ३२. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा ३२. (उससे) उसी के पर्याप्त की उत्कृष्ट अवगाहना विसेसाहिया। विशेषाधिक है। ३३. बादर आउकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया ३३. (उससे) पर्याप्त बादर अप्कायिक की जघन्य अवगाहना ओगाहणा असंखेज्जगुणा। असंख्यातगुणी है। ३४. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा ३४. (उससे) उसी के अपर्याप्त की उत्कृष्ट अवगाहना विसेसाहिया। विशेषाधिक है। ३५. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा ३५. (उससे) उसी के पर्याप्त की उत्कृष्ट अवगाहना विसेसाहिया। विशेषाधिक है। ३६. बादर पुढवीकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया ३६. (उससे) पर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक की जघन्य - ओगाहणा असंखेज्जगुणा। अवगाहना असंख्यातगुणी है। ३७. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा ३७. (उससे) उसी के अपर्याप्त की उत्कृष्ट अवगाहना विसेसाहिया। विशेषाधिक है। ३८. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा ३८. (उससे) उसी के पर्याप्त की उत्कृष्ट अवगाहना विसेसाहिया। विशेषाधिक है। ३९. बादरनिगोयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा ३९. (उससे) पर्याप्त बादर निगोद की जघन्य अवगाहना असंखेज्जगुणा। असंख्यातगुणी है। ४०. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा ४०. (उससे) अपर्याप्त बादर निगोद की उत्कृष्ट अवगाहना विसेसाहिया। विशेषाधिक है। ४१. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा. ४१. (उससे) पर्याप्त बादर निगोद की उत्कृष्ट अवगाहना विसेसाहिया। विशेषाधिक है। ४२. पत्तेयसरीर बादर वणस्सइकाइयस्स पज्जत्तगस्स ४२. (उससे) पर्याप्त प्रत्येक शरीरी बादर वनस्पतिकायिक की जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा। जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। ४३. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा ४३. (उससे) अपर्याप्त प्रत्येक शरीरी बादर वनस्पतिकायिक असंखेज्जगुणा। की उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यातगुणी है। ४४. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा ४४. (उससे) पर्याप्त प्रत्येक शरीरी बादर वनस्पतिकायिक की असंखेज्जगुणा। -विया. स. १९, उ. ३, सु. २२ उत्कृष्ट अवगाहना असंख्यातगुणी है। २१. अणंतरोववन्नग एगिंदिय भेयप्पभेय परूवणं २१. अनन्तरोपपत्रक एकेन्द्रियों के भेद-प्रभेदों का प्ररूपणप. कइविहा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा एगिंदिया पन्नत्ता? प्र. भन्ते ! अनन्तरोपपन्नक (तत्काल उत्पन्न) एकेन्द्रिय जीव कितने प्रकार के कहे गए हैं ? उ. गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववन्नगा एगिंदिया पन्नत्ता, उ. गौतम ! अनन्तरोपपन्नक एकेन्द्रिय जीव पांच प्रकार के कहे तं जहा गए हैं,यथा१. पुढविकाइया जाव ५. वणस्सइकाइया। १. पृथ्वीकायिक यावत् ५. वनस्पतिकायिक।
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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