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________________ m वि। द्रव्यानुयोग-(२) ५. पदेसनामनिहत्ताउए, ५. प्रदेशनामनिधत्तायु, ६. अणुभावनामनिहत्ताउए। ६. अनुभावनामनिधत्तायु। दं.२-२४ एवं जाव वेमाणियाणं।' दं.२-२४ इसी प्रकार वैमानिकों पर्यन्त आयुबन्ध का कथन --पण्ण. प.६, सु. ६८५-६८६ करना चाहिए। ११७. जीव-चउवीसदंडएसु जाइनामनिधत्ताईणं परूवणं ११७. जीव-चौबीस दंडकों में जाति नामनिधतादि का प्ररूपणप. १. जीवा णं भंते ! किं जाइनामनिहत्ता जाव प्र. १. भंते ! क्या जीव जातिनामनिधत्त यावत् अनुभागअणुभागनामनिहत्ता? नामनिधत्त हैं ? उ. गोयमा ! जाइनामनिहत्ता वि जाव अणुभागनामनिहत्ता उ. गौतम ! जीव जाति नामनिधत्त भी हैं यावत् अनुभाग नामनिधत्त भी हैं। १-२४ दंडओ नेरइयाणंजाव वेमाणियाणं। दं. १-२४ यह दंडक नैरयिकों से वैमानिकों तक कहना चाहिए। प. २. जीवा णं भंते ! किं जाइनामनिहत्ताउया जाव प्र. २.भंते ! क्या जीव जातिनामनिधत्तायुष्क यावत् अनुभागअणुभागनामनिहत्ताउया? नामनिधत्तायुष्क हैं ? उ. गोयमा ! जाइनामनिहत्ताउया वि जाव उ. गौतम ! जीव जातिनामनिधत्तायुष्क भी हैं यावत् अनुभागअणुभागनामनिहत्ताउया वि। नामनिधत्तायुष्क भी हैं। १-२४ दंडओनेरइयाणंजाव वेमाणियाणं। दं. १-२४ यह दण्डक नैरयिकों से वैमानिक तक कहना चाहिए। प. ३. जीवा णं भंते ! किं जाइनामनिउत्ता जाव प्र. ३. भंते ! क्या जीव जातिनामनियुक्त यावत् अनुभागअणुभागनामनिउत्ता? नामनियुक्त हैं? उ. गोयमा ! जाइनामनिउत्ता विजाव अणुभागनामनिउत्ता उ. गौतम ! जीव जातिनामनियुक्त भी हैं यावत् अनुभागवि। नामनियुक्त भी हैं। १-२४ दंडओ नेरइयाणंजाव वेमाणियाणं। दं.१-२४ यह दण्डक नैरयिकों से वैमानिकों तक कहना चाहिए। प. ४. जीवा णं भंते ! किं जाइनामनिउत्ताउया जाव प्र. ४. भंते ! क्या जीव जातिनामनियुक्तायुष्क यावत् अनुभागअणुभागनामनिउत्ताउया? नामनियुक्तायुष्क हैं ? उ. गोयमा ! जाइनामनिउत्ताउया वि जाव उ. गौतम ! जीव जातिनामनियुक्तायुष्क भी हैं यावत् अनुभागअणुभागनामनिउत्ताउया वि। नामनियुक्तायुष्क भी हैं। १-२४ दंडओ नेरइयाणंजाव वेमाणियाणं। दं. १-२४ यह दण्डक नैरयिकों से वैमानिकों तक कहना चाहिए। प. ५. जीवा णं भंते ! किं जाइगोत्तनिहत्ता जाव प्र. ५. भन्ते ! क्या जीव जातिगोत्रनिधत्त यावत् अनुभागअणुभागगोत्तनिहत्ता? गोत्रनिधत्त हैं? उ. गोयमा ! जाइगोत्तनिहत्ता वि जाव अणुभागगोत्तनिहत्ता उ. गौतम ! जीव जातिगोत्रनिधत्त भी हैं यावत् अनुभाग गोत्रनिधत्त भी हैं। १-२४ दंडओ नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं। दं. १-२४ यह दण्डक नैरयिकों से वैमानिकों तक कहना चाहिए। प. ६. जीवा णं भंते ! किं जाइगोत्तनिहत्ताउया जाव प्र. ६.भंते ! क्या जीव जातिगोत्रनिधत्तायुष्क यावत् अनुभागअणुभागगोत्तनिहत्ताउया? गोत्रनिधत्तायुष्क हैं ? उ. गोयमा ! जाइगोत्तनिहत्ताउया वि जाव उ. गौतम ! जीव जातिगोत्रनिधत्तायुष्क भी हैं यावत् अनुभागअणुभागगोत्तनिहत्ताउया वि। गोत्रनिधत्तायुष्क भी हैं। १-२४ दंडओ नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं। दं. १-२४ यह दण्डक नैरयिकों से वैमानिकों तक कहना चाहिए। प. ७. जीवा णं भंते ! किं जाइगोत्तनिउत्ता जाव प्र. ७. भंते ! क्या जीव जातिगोत्रनियुक्त यावत् अनुभागअणुभागगोत्तनिउत्ता? गोत्रनियुक्त हैं? उ. गोयमा ! जाइगोत्तनिउत्ता वि जाव अणुभागगोत्तनिउत्ता उ. गौतम ! जीव जातिगोत्रनियुक्त भी हैं यावत् अनुभाग गोत्रनियुक्त भी है। १. (क) ठाणं अ.६,सु.५३६(२-३) (ख) विया.स.६,उ.८,सु.२८ (ग) सम.सु.१५४ (५) वि! वि।
SR No.090159
Book TitleDravyanuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages806
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size29 MB
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