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लेश्या अध्ययन
-८४७ )
प्र. क्या नीललेश्या ऐसे वर्ण वाली है? उ. गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है।
नीललेश्या इनसे भी अधिक अनिष्ट यावत् अधिक अमनोहर
वर्ण वाली कही गई है। प्र. ३. भन्ते ! कापोतलेश्या कैसे वर्ण वाली कही गई है? उ. गौतम ! कत्था, कैर,धमासा, ताम्बे, ताम्बे के कटोरे, ताम्बे के
चम्मच, बैंगन पुष्प, कोकिलच्छद पुष्प, जवासा पुष्प, कलकुसुम जैसे वर्ण वाली कापोतलेश्या है।
प्र. क्या कापोतलेश्या ऐसे वर्ण वाली है? उ. गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है।
कापोतलेश्या इनसे भी अधिक अनिष्ट यावत् अधिक
अमनोहर वर्ण वाली कही गई है। प्र. ४. भन्ते ! तेजोलेश्या कैसे वर्ण वाली कही गई है? उ. गौतम ! शशक रुधिर, मेष रुधिर, सूकर रुधिर, सांभर
रुधिर, मनुष्य रुधिर, बाल-इन्द्रगोप, बालदिवाकर, संध्या लालिमा, गुंजार्ध लालिमा, उत्तम हींगलू, प्रवालांकुर, लाक्षारस, लोहिताक्षमणि, किरमिची रंग युक्त कम्बल, गज तालु, चीन पिष्ट राशि, पारिजात पुष्प, जपा पुष्प, किंशुक पुष्प, लाल कमल, लाल अशोक, लाल कनेर, लालबन्धुजीवक जैसे वर्ण वाली तेजोलेश्या है।
प. भवेयारूवा? उ. गोयमा ! णो इणढे समढे।
नीललेस्सा णं एत्तो अणिठ्ठतरिया जाव अमणामतरिया
चेव वण्णेणं पण्णत्ता। प. ३.काउलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णत्ता? उ. गोयमा ! से जहाणामए खयरसारे इ वा, कयरसारे इवा,
धमाससारे इ वा, तंबे इ वा, तंबकरोडए इवा, तंबच्छिवाडिया इ वा, वाइंगणि कुसुमए इवा, कोइलच्छपकुसुमए इवा,जवासा कुसुमे इवा, कलकुसुमे
इवा। प. भवेयारूवा? उ. गोयमा ! णो इणढे समढे।
काउलेस्सा णं एत्तो अणिद्रुतरिया जाव अमणामतरिया
चेव वण्णेणं पण्णत्ता। प. ४.तेउलेस्साणं भंते ! केरिसिया क्ण्णेणं पण्णत्ता? उ. गोयमा ! से जहाणामए ससरुहिरे इ वा, उरभरुहिरे इ
वा, वराहरुहिरे इ वा, संबररुहिरे इ वा, मणुस्सरुहिरे इ वा, बालिंदगोवे इ वा, बालदिवागरे इ वा, संझब्भरागे इ वा, गुंजद्धरागे इवा, जाइहिंगुलुए इवा, पवालंकुरे इ वा, लक्खारसे इवा,लोहियक्खमणी इवा, किमिरागकंबले इ वा, गयतालुए इवा, चीणपिट्ठरासी इ वा, पालियायकुसुमे इ वा, जासुमणाकुसुमे इ वा, किंसुयपुप्फरासी इ वा, रत्तुप्पले इ वा, रत्तासोगे इ वा, रत्तकणवीरए इवा,
रत्तबंधुजीवए इवा। प. भवेयारूवा? उ. गोयमा ! णो इणढे समढे।
तेउलेस्सा णं एत्तो इछतरिया चेव, कंततरिया चेव, पियतरिया चेव, मणुण्णतरिया चेव मणामतरिया चेव
वण्णेणं पण्णत्ता। प. ५. पम्हलेस्सा णं भन्ते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णता? उ. गोयमा! से जहाणामए चंपे इ वा, चंपयछल्ली इ वा,
चंपयभेदे इ वा, हलिद्दा इ वा, हलिद्दगुलिया इ वा, हालिद्दाभेए इ वा, हरियाले इवा, हरियालगुलिया इ वा, हरियालभेए इवा, चिउरे इ वा, चिउररागे इ वा, सुवण्णसिप्पी इ वा, वरकणगणिहसे इ वा, वरपुरिसवसणे इ वा, अल्लइकुसुमे इ वा, चंपयकुसुमे इ वा, कणियारकुसुमे इ वा, कुहंडियाकुसुमे इ वा, सुवण्णजूहिया इ वा, सुहिरणियाकुसुमे इ वा, कोरेंटमल्लदामे इ वा, पीयासोगे इ वा, पीयकणवीरए इ 'वा, पीयबन्धुजीवए इ वा। प. भवेयारूवा? उ. गोयमा ! जो इणटे समढे।
पम्हलेस्सा णं एत्तो इट्टतरिया चेव जाव मणामतरिया चेव
वण्णेणं पण्णत्ता। प.. ६.सुक्कलेस्सा गं भन्ते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णता?
प्र. क्या तेजोलेश्या ऐसे वर्ण वाली है? उ. गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है।
तेजोलेश्या इनसे भी अधिक इष्ट, कान्त, प्रिय, मनोज्ञ और मनोहर वर्ण वाली कही गई है।
प्र. ५. भन्ते ! पद्मलेश्या कैसे वर्ण वाली कही गई है? उ. गौतम ! चम्पक, चम्पक की छाल, चम्पक के टुकड़े, हल्दी,
हल्दी की गुटिका, हल्दी के टुकड़े (खंड), हरताल की गुटिका, हरताल के टुकड़े, चिकुर, चिकुर का रंग, स्वर्णसीप, स्वर्ण-निकर्ष, वासुदेव वस्त्र (पीताम्बर), अल्लकी पुष्प, चम्पा पुष्प, कनेर पुष्प, कुष्माण्ड लतापुष्प, स्वर्ण जूही वृक्ष, सुहिरण्यिका पुष्प, कोरंट पुष्पमाला, पीले अशोक, पीले कनेर, पीले बन्धुजीवक जैसे वर्ण वाली पद्मलेश्या है।
प्र. क्या पद्मलेश्या ऐसे वर्ण वाली है? उ. गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है।
पद्मलेश्या इनसे भी अधिक इष्ट यावत् अधिक मनोहर वर्ण
वाली कही गई है। प्र. ६.भन्ते ! शुक्ललेश्या कैसे वर्ण वाली कही गई है? .