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________________ ज्ञान अध्ययन ७०७ एवं जहा सामाइयचरित्तलद्धिया अलखिया य भणिया, एवं जाव अहक्खायचरित्तलद्धिया अलद्धिया य भाणियव्वा। णवर-अहक्खायचरित्तलद्धिया पंचनाणाई भयणाए। प. ४. चरित्ताचरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी? उ. गोयमा ! नाणी, नो अन्नाणी। अत्धेगइया दुनाणी, अत्थेगइया तिन्नाणी। जे दुन्नाणी ते-१.आभिणिबोहियनाणी य,२. सुयनाणी य। जे तिन्नाणी ते-१.आभिणिबोहियनाणी य, २.सुयनाणी य,३. ओहिनाणी य। तस्स अलद्धीयाणं पंच नाणाई, तिण्णि अन्नाणाई भयणाए। -विया. स.८, उ.२, सु. १०७ प. ५-९. दाणलद्धियाणं भंते ! जीवा किं णाणी, अण्णाणी? उ. गोयमा ! पंच नाणाई तिण्णि अन्नाणाई भयणाए। प. तस्स अलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी? 3. गोयमा ! नाणी, नो अन्नाणी नियमा एगनाणी केवलनाणी। एवं जाव बीरियस्स लद्धी अलद्धी य भाणियव्वा। जिस प्रकार सामायिक चारित्रलब्धि वाले और लब्धि रहित जीवों का कथन किया है उसी प्रकार यावत् यथाख्यात् लब्धि वाले और लब्धि रहित जीवों का कथन करना चाहिए। विशेष-ययाख्यातचारित्रलब्धियुक्त जीवों में पांच ज्ञान भजना (विकल्प) से पाए जाते हैं। प्र. ४. भन्ते ! चारित्राचारित्र लब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं? उ. गौतम ! वे ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं हैं। उनमें से कई दो ज्ञान वाले हैं, कई तीन ज्ञान वाले हैं। जो दो ज्ञान वाले हैं, वे-१. आभिनिबोधिकज्ञानी, २. श्रुतज्ञानी है। जो तीन ज्ञान वाले हैं, वे-१.आभिनिबोधिकज्ञानी, २. श्रुतज्ञानी, और ३. अवधिज्ञानी है। चारित्राचारित्रलब्धिरहित जीवों में पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना (विकल्प) से पाए जाते हैं। प्र. ५-९. भन्ते ! दानलब्धि युक्त जीव क्या ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं? उ. गौतम ! दानलब्धि युक्त जीवों में पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना (विकल्प) से पाए जाते हैं। . . प्र. भन्ने ! दानलब्धिरहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी है ? उ. गौतम ! वे ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं हैं, उनमें नियम से एकमात्र केवलज्ञान होता है। इसी प्रकार वीर्यलब्धियुक्त और वीर्यलब्धिरहित पर्यन्त का कथन करना चाहिए। बालवीर्यलब्धियुक्त जीवों में तीन ज्ञान और तीन अज्ञान भजना (विकल्प) से पाए जाते हैं। बालवीर्यलब्धिरहित जीवों में पांच ज्ञान भजना (विकल्प) से पाए जाते हैं। पण्डितवीर्यलब्धियुक्त जीवों में पांच ज्ञान भजना (विकल्प) से पाए जाते हैं। पण्डितवीर्यलब्धिरहित जीवों में मनःपर्यवज्ञान के सिवाय चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना (विकल्प) से पाए जाते हैं। प्र. भन्ते ! बाल-पण्डित-वीर्यलब्धि वाले जीव ज्ञानी है या अज्ञानी हैं? उ. गौतम ! उनमें तीन ज्ञान भजना (विकल्प) से पाए जाते हैं। बालपण्डितवीर्यलब्धि-रहित जीवों में पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना (विकल्प) से पाए जाते हैं। प्र. १०.भन्ते ! इन्द्रियलब्धियुक्त जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं? उ. गौतम ! उनमें चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना (विकल्प) से पाए जाते हैं। प्र. भन्ते ! इन्द्रियलब्धिरहित जीव-ज्ञानी है या अज्ञानी है ? बालवीरियलद्धियाणं तिण्णि नाणाई तिण्णि अन्नाणाई भयणाए। तस्स अलद्धियाइं पंच नाणाई भयणाए। पंडियवीरियलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए। तस्स अलद्धियाणं मणपज्जवनाणवज्जाइं चत्तारि नाणाई अन्नाणाणि तिण्णि य भयणाए। प. बालपंडियबीरियलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी? उ. गोयमा ! तिण्णि नाणाई भयणाए। तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई, तिण्णि य अन्नाणाई भयणाए। प. १०. इंदियलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी? उ. गोयमा ! चत्तारि नाणाई तिण्णि य अन्नाणाई भयणाए। प. तस्स अलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी?
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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