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________________ ५९४ द्रव्यानुयोग-(१) २. ईहा परूवणंप. से किं तं ईहा? उ. ईहा छव्विहा पण्णत्ता,तं जहा १. सोइंदियईहा, २. चक्विंदियईहा, ३. घाणिंदियईहा, ४. जिब्भिंदियईहा, ५. फासिंदियईहा, ६. णोइंदियईहा। तीसे णं इमे एगट्ठिया णाणाघोसा णाणावंजणा पंच णामधेया भवंति,तं जहा१. आभोगणया, २. मग्गणया, ३. गवसणया, ४. चिंता, ५. वीमंसा। से तं ईहा। -नंदी सु. ५८ ३. अवाय परूवणंप. से किं तं अवाए? उ. अवाए छव्विहे पण्णत्ते,तं जहा १. सोइंदियावाए, २. चक्विंदियावाए, ३. घाणिंदियावाए, ४. जिभिंदियावाए, ५. फासिंदियावाए, ६. णोइंदियावाए।' तस्स णं इमे एगट्ठिया णाणाघोसा णाणावंजणा पंच णामधेया भवंति,तं जहा१. आवट्टणया, २. पच्चावट्टणया, ३. अवाए, ४. बुद्धी, ५. विण्णाणे। सेतं अवाए। -नंदी.सु.५९ .४. धारणा परूवणंप. से किं तं धारणा? उ. धारणा छव्विहा पण्णत्ता,तं जहा १. सोइंदियधारणा, २. चक्विंदियधारणा, ३. घाणिंदियधारणा, ४. जिब्भिंदियधारणा, ५. फासिंदियधारणा, ६. णोइंदियधारणा। तीसे णं इमे एगट्ठिया णाणाघोसा णाणावंजणा पंच णामधेया भवंति,तं जहा१. धारणा, २. साधारणा, ३. ठवणा, ४. पइट्ठा, ५. कोठे। सेतं धारणा। -नदी.सु.६० १२. विसयगहण विवक्खया उग्गहाणं भेया चउव्विहा मई पण्णत्ता,तं जहा१.उग्गहमई, २. ईहामई, ३. अवायमई, ४. धारणामई। २. ईहा की प्ररूपणाप्र. ईहा कितने प्रकार की है? उ. ईहा छह प्रकार की कही गई है, यथा १. श्रोत्रेन्द्रिय-ईहा, २. चक्षुरिन्द्रिय-ईहा, ३. घ्राणेन्द्रिय ईहा, ४. जिह्वेन्द्रिय-ईहा, ५. स्पर्शेन्द्रिय-ईहा, ६. नोइन्द्रिय-ईहा, ईहा के समानार्थक नानाघोष और नाना व्यंजन वाले पांच नाम इस प्रकार हैं, यथा१. आभोगनता, २. मार्गणता, ३. गवेषणता, ४. चिन्ता, ५. विमर्श। यह ईहा का वर्णन हुआ। ३. अवाय की प्ररूपणाप्र. अवाय कितने प्रकार का है? । उ. अवाय छह प्रकार का कहा गया है, यथा १. श्रोत्रेन्द्रिय-अवाय, २. चक्षुरिन्द्रिय-अवाय, ३. घ्राणेन्द्रिय-अवाय, ४. जिह्वेन्द्रिय-अवाय, ५. स्पर्शेन्द्रिय-अवाय, ६. नोइन्द्रिय-अवाय। अवाय के समानार्थक, नानाघोष और नाना व्यंजन वाले पांच नाम इस प्रकार हैं, यथा१. आवर्तनता, २. प्रत्यावर्तनता, ३. अवाय, ४. बुद्धि, ५. विज्ञान। यह अवाय का वर्णन हुआ। ४. धारणा की प्ररूपणाप्र. धारणा कितने प्रकार की है? उ. धारणा छह प्रकार की कही गई है, यथा १. श्रोत्रेन्द्रिय-धारणा, २. चक्षुरिन्द्रिय-धारणा, ३. घ्राणेन्द्रिय-धारणा, ४. जिह्वेन्द्रिय-धारणा, ५. स्पर्शेन्द्रिय-धारणा, ६. नोइन्द्रिय-धारणा, धारणा के समानार्थक नानाघोष और नाना व्यंजन वाले पांच नाम इस प्रकार हैं, यथा- . १. धारणा, २. साधारणा, ३. स्थापना, ४. प्रतिष्ठा, ५. कोष्ठ। यह धारणा का वर्णन हुआ। १२. विषयग्रहण की अपेक्षा अवग्रहादि के भेद मति चार प्रकार की कही गई है, यथा१. अवग्रहमति, २. ईहामति, ३. अवायमति, ४. धारणामति, १. सम.सम.२८ सु.३
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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