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भाषा अध्ययन
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१. क्रोधनिःसृता, २. माननिःसृता ३. मायानिःसृता ४. लोभनिःसृता ५. प्रेय (राग) निःसृता ६. दोस (द्वेष) निःसृता ७. हास्यनिःसृता ८. भयनिःसृता,
९. आख्यानिकानिःसृता १०. उपधातनिःसृता। प्र. भन्ते ! अपर्याप्तिका भाषा कितने प्रकार की कही गई है ? उ. गौतम ! वह दो प्रकार की कही गई है, यथा
१.सत्यामृषा, २.असत्यामृषा। प्र. भंते ! सत्यामृषा अपर्याप्तिका भाषा कितने प्रकार की कही
१.कोहणिस्सिया, २. माणणिस्सिया, ३. मायाणिस्सिया, ४. लोभणिस्सिया, ५.पेज्जणिस्सिया, ६.दोसणिस्सिया, ७.हासणिस्सिया, ८.भयणिस्सिया,
९.अक्खाइयाणिस्सिया, १०.उवघायणिस्सिया। प. अपज्जत्तिया णं भंते ! भासा कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
१.सच्चामोसा य, २.असच्चामोसा य। प. सच्चामोसा णं भंते ! भासा अपज्जत्तिया कइविहा
पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता,तं जहा
१.उप्पण्णमिस्सिया, २.विगयमिस्सिया, ३. उप्पण्णविगयमिस्सिया, ३.जीवमिस्सिया, ५.अजीवमिस्सिया, ६.जीवाजीवमिस्सिया, ७.अणंतमिस्सिया, ८.परित्तमिस्सिया,
९. अद्धामिस्सिया, १०. अद्धद्धामिस्सियारे। प. असच्चामोसा णं भंते ! भासा अपज्जत्तिया कइविहा
पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दुवालसविहा पण्णत्ता,तं जहा१.आमंतणि
२.आणमणी, ३.जायणि,
४. तह पुच्छणी य ५. पण्णवणी,
६.पच्चक्खाणी भासा ७.भासा इच्छाणुलोमा य ८.अणभिग्गहिया भासा, ९.भासा य अभिग्गहम्मि बोधव्वा, १०.संसयकरणी भासा, ११.वोयडा।
१२.अव्वोयडा चेव।
-पण्ण. प.११, सु.८६०-८६६ ३. चत्तारि भासज्जाय परूवणं
प. कइणं भंते ! भासज्जाया पण्णता? उ. गोयमा ! चत्तारि भासज्जाया पण्णत्ता,तं जहा
१.सच्चमेगं भासज्जायं, २.बितियं मोसं भासज्जायं, ३. ततियं सच्चामोसं भासज्जायं, ४. चउत्थं असच्चामोसं भासज्जायं३ ।
-पण्ण . प.११, सु. ८७० ४. जीव एगूणवीसदंडएसुभासज्जायं परूवणं
प. जीवाणं भंते!
उ. गौतम ! वह दस प्रकार की कही गई है, यथा
१. उत्पन्नमिश्रिता, २ विगतमिश्रिता, ३. उत्पन्नविगतमिश्रिता, ४. जीवमिश्रिता, ५.अजीवमिश्रिता, ६. जीवाजीवमिश्रिता, ७. अनन्तमिश्रिता, ८. परित्तमिश्रिता,
९. अद्धामिश्रिता, १०. अद्धद्धामिश्रिता। प्र. भंते ! असत्यामृषा अपर्याप्तिका भाषा कितने प्रकार की कही
गई है ? उ. गौतम ! वह बारह प्रकार की कही गई है, यथा
१. आमंत्रणी, २. आज्ञापनी, ३. याचनी, ४. पृच्छनी, ५. प्रज्ञापनी, ६. प्रत्याख्यानी, ७. इच्छानुलोमा, ८. अनभिगृहीता, ९. अभिगृहीता, १०.संशयकरणी, ११. व्याकृता, १२. अव्याकृता।
३. चार भाषा जातों (प्रकारों) का प्ररूपण :
प्र. भन्ते ! भाषाजात कितने कहे गए हैं? उ. गौतम ! चार भाषाजात कहे गए हैं, यथा
१.एक सत्य भाषाजात, २. दूसरा मृषा भाषाजात, ३. तीसरा सत्य मृषा भाषाजात, ४. चौथा असत्यामृषा भाषाजात।
१. (क) गाहा (१) कोहे, (२) माणे, (३) माया, (४) लोभे, (५) पेज्जे,
(६) तहेव दोसे य। (७) हास, (८) भए, (९) अक्खाइय (१०) उवघाइयणि स्सिया दसमा ॥
-पण्ण.प.११.स.८६३ गा.१९५ (ख) गाहा- (१) कोहे, (२) माणे, य, (३) मायाए, (४) लोभे य
उवउत्तया।
४. जीव और उन्नीस दण्डकों में भाषा के भेदों का प्ररूपणप्र. भन्ते ! जीव क्या(५) हासे,(६) भय (७) मोहरिए, (८) विगहासु तहेव य ॥
-उत्त.अ.२४,गा.९ (ग) ठाणं अ.१०,सु.७४१ २. ठाणं. अ.१०.सु.७४१ . (क) ठाणं.अ.४,उ.४.स.२३८
(ख) विया.स.१३,उ.७.सु.९ (ग) पण्ण.प.११.सु.८९८
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