SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 610
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इन्द्रिय अध्ययन ११. एगिंदिया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, १२. सइंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया, १३. सइंदिया विसेसाहिया। -पण्ण. प. ३, सु. २२७-२३१ ३१. खेत्ताणुवाएणं इंदिय विवक्खया जीवाणं अप्पबहुत्तं१. खेत्ताणुवाएणं १. सव्वत्थोवा एगिदिया जीवा उड्ढलोय-तिरियलोए, २. अहोलोय-तिरियलोए विसेसाहिया, ३. तिरियलोए असंखेज्जगुणा, ४. तेलोक्के असंखेज्जगुणा, ५. उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, ६. अहोलोए विसेसाहिया। २. खेत्ताणुवाएणं१. सव्वत्थोवा एगिदिया जीवा अपज्जत्तगा उड्ढलोय तिरियलोए, २. अहोलोय-तिरियलोए विसेसाहिया, ३. तिरियलोए असंखेज्जगुणा, ४. तेलोक्के असंखेज्जगुणा, ५. उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, ६. अहोलोए विसेसाहिया। ३. खेत्ताणुवाएणं१. सव्वत्थोवा एगिंदिया जीवा पज्जत्तगा उड्ढलोय तिरियलोए, २. अहोलोय-तिरियलोए विसेसाहिया, ३. तिरियलोए असंखेज्जगुणा, ४. तेलोक्के असंखेज्जगुणा, ५. उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, ६. अहोलोए विसेसाहिया। ४. खेत्ताणुवाएणं १. सव्वत्थोवा बेइंदिया उड्ढलोए, २. उड्ढलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, ३. तेलोक्के असंखेज्जगुणा, ४. अहोलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, ५. अहोलोए संखेज्जगुणा, ६. तिरियलोए संखेज्जगुणा। ५. खेत्ताणुवाएण १. सव्वत्थोवा बेइंदिया अपज्जत्तगा उड्ढलोए, २. उड्ढलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, ३. तेलोक्के असंखेज्जगुणा, ४. अहोलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, ५. अहोलोए संखेज्जगुणा, ६. तिरियलोए संखेज्जगुणा। १. जीवा. पडि.४, सु.२०९ . - ५०३ ) ११. (उनसे) एकेन्द्रिय पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, १२. (उनसे) सेन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, १३. (उनसे) सेन्द्रिय विशेषाधिक हैं। ३१. क्षेत्र की अपेक्षा इन्द्रियों की विवक्षा से जीवों का अल्पबहुत्व१. क्षेत्र की अपेक्षा १. सबसे अल्प एकेन्द्रिय जीव ऊर्ध्वलोक तिर्यक्लोक में हैं, २. (उनसे) अधोलोक तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) अधोलोक में विशेषाधिक हैं। २. क्षेत्र की अपेक्षा१. सबसे अल्प एकेन्द्रिय अपर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक तिर्यक्लोक में हैं, २. (उनसे) अधोलोक तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) अधोलोक में विशेषाधिक हैं। ३. क्षेत्र की अपेक्षा१. एकेन्द्रिय पर्याप्तक जीव सबसे अल्प ऊर्ध्वलोक तिर्यक्लोक में हैं, २. (उनसे) अधोलोक तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) अधोलोक में विशेषाधिक हैं। ४. क्षेत्र की अपेक्षा १. सबसे अल्प द्वीन्द्रिय जीव ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोक तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) अधोलोक तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं। ५. क्षेत्र की अपेक्षा १. सबसे अल्प द्वीन्द्रिय अपर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोक तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) अधोलोक तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy