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________________ ४८८ उ. गोयमा ! एगे फासेंदिए पण्णत्ते। दं.१३-१६एवंजाव वणप्फइकाइयाणं। प. बेइंदियाणं भंते ! कइ दव्विंदिया पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दो दबिंदिया पण्णत्ता,तं जहा १.फासिदिए य,२.जिभिदिए य। प. दं.१८ तेइंदियाणं भंते ! कइ दबिंदिया पण्णत्ता? द्रव्यानुयोग-(१) उ. गौतम ! उनके केवल एक स्पर्शेन्द्रिय कही गई है। दं. १३-१६ इसी प्रकार वनस्पतिकायिकों पर्यन्त जानना चाहिए। प्र. दं.१७ भन्ते ! द्वीन्द्रिय जीवों के कितनी द्रव्येन्द्रियां कही गई हैं? उ. गौतम ! उनके दो द्रव्येन्द्रियां कही गई हैं, यथा १.स्पर्शेन्द्रिय, २. जिह्वेन्द्रिय। . प्र. दं. १८ भन्ते ! त्रीन्द्रिय जीवों के कितनी द्रव्येन्द्रियां कही गई हैं? उ. गौतम ! उनके चार द्रव्येन्द्रियां कही गई हैं, यथा दो घ्राण, जिह्वा, स्पर्शन। प्र. दं.१९. भन्ते ! चतुरिन्द्रिय जीवों के कितनी द्रव्येन्द्रियां कही उ. गोयमा !चत्तारि दव्विंदिया पण्णत्ता,तं जहा दोघाणा,जीहा, फासे। प. दं.१९ चउरिंदियाणं भंते ! कइ दव्विंदिया पण्णत्ता? उ. गोयमा !छ दव्विंदिया पण्णत्ता,तं जहा दोणेत्ता, दो घाणा, जीहा,फासे। दं.२०-२४.सेसाणं जहाणेरइयाणंजाव वेमाणियाण। __-पण्ण.प.१५, उ. २, सु.१०२५ १०२९ २४. चउवीसदंडएसु अतीत-बद्ध-पुरेक्खडदव्विंदियाणं परूवणं- प. द.१. एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयस्स केवइया दव्विंदिया अतीता? उ. गोयमा! अणंता। प. केवइया बद्धेल्लया? उ. गोयमा ! अट्ठ। प. केवइया पुरेक्खडा? उ. गोयमा ! अट्ठ वा, सोलस वा, सत्तरस वा, संखेज्जा वा, असंखेज्जवा,अणंता वा। प. दं. २. एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स केवइया दबिंदिया अतीता? उ. गोयमा ! अणंता। प. केवइया बद्धेल्लगा? उ. गोयमा ! अट्ठ। प. केवइया पुरेक्खडा? उ. गोयमा ! अट्ठ वा, णव वा, संखेज्जा वा, असंखेज्जा वा, अणंता वा। दं.३-११ एवं नागकुमाराणं जाव थणियकुमाराणं। उ. गौतम ! उनके छह द्रव्येन्द्रियां कही गई हैं, यथा दो नेत्र, दो घ्राण, जिह्वा, स्पर्शन। दं.२०-२४. शेष सभी वैमानिकों पर्यंत की द्रव्येन्द्रियाँ नैरयिकों के समान हैं। २४. चौबीस दण्डकों में अतीत-बद्ध-पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियों की प्ररूपणाप्र. दं.१. भन्ते ! एक नैरयिक के अतीत भूतकालीन द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं? उ. गौतम ! अनन्त हैं। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! आठ हैं। प्र. भविष्यत्कालीन द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! आठ हैं, सोलह हैं, सत्रह हैं, संख्यात हैं, असंख्यात हैं अथवा अनन्त हैं। प्र. दं.२ भन्ते ! एक एक असुरकुमार के अतीत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं? उ. गौतम ! अनन्त है। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! आठ हैं। प्र. भविष्यत्कालीन द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! आठ हैं, नौ हैं, संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं। दं. ३-११. इसी प्रकार नागकुमार से स्तनितकुमारों पर्यंत द्रव्येन्द्रियां कहनी चाहिए। दं.१२-१३,१६. इसी प्रकार पृथ्वीकायिक अपकायिक और वनस्पतिकायिक की भी कहनी चाहिए, विशेषप्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! केवल एक स्पर्शेन्द्रिय है। दं. १४-१५. तेजस्कायिक और वायुकायिक की भी इसी प्रकार कहनी चाहिए। विशेष-इनकी भावी द्रव्येन्द्रियां नौ या दस होती हैं। दं.१२-१३,१६.एवं पुढविकाइय-आउक्काइय, वणफइ कायस्सविणवरंप. केवइया बद्धेल्लगा? उ. गोयमा ! एक्के फासिदिए पण्णत्ते। दं.१४-१५ एवं तेउक्काइय, वाउक्काइयस्स वि। णवरं-पुरेक्खडा णव वा, दस वा।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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