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________________ ( २३० । ३. दाहिणे णं विसेसाहिया, ४. उत्तरेणं विसेसाहिया। १. दिसाणुवाएणं १-२-३. सव्वत्थोवा नेरइया पुरथिमे-पच्चत्थिमेउत्तरेणं, ४. दाहिणे णं असंखेज्जगुणा। २. दिसाणुवाएणं १-२-३. सव्वत्थोवा रयणप्पभापुढविणेरइया पुरथिमेपच्चत्थिमे-उत्तरेणं, ४. दाहिणे णं असंखेज्जगुणा। ३. दिसाणुवाएण १-२-३. सव्वत्थोवा सक्करप्पभापुढविनेरइया पुरथिमे-पच्चत्थिमे-उत्तरेणं, ४. दाहिणे णं असंखेज्जगुणा। ४. दिसाणुवाएक १-२-३. सव्वत्थोवा बालुयप्पभापुढविनेरइया पुरथिमेपच्चत्थिमे-उत्तरेणं, ४. दाहिणे णं असंखेज्जगुणा। ५. दिसाणुवाएणं १-२-३. सव्वत्थोवा पंकप्पभापुढविनेरइया पुरथिमेपच्चत्थिमे-उत्तरेणं, ४. दाहिणे णं असंखेज्जगुणा। ६. दिसाणुवाए णं १-२-३. सव्वत्थोवा धूमप्पभापुढविनेरइया पुरथिमेपच्चत्थिमे-उत्तरेणं, ४. दाहिणे णं असंखेज्जगुणा। ७. दिसाणुवाएणं १-२-३.. सव्वत्थोवा तमप्पभापुढविनेरइया पुरथिमे- पच्चत्थिमे-उत्तरेणं, . ४. दाहिणे णं असंखेज्जगुणा। ८. दिसाणुवाए णं १-३-३. सव्वत्थोवा अहेसत्तमापुढविनेरइया पुरथिमेपच्चत्थिमे-उत्तरेणं, ४. दाहिणे णं असंखेज्जगुणा। दाहिणिल्लेहितो अहेसत्तमापुढविनेरइएहिंतो छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइया पुरथिम-पच्चत्थिम-उत्तरे णं असंखेज़्जगुणा, दाहिणे णं असंखेज्जगुणा। द्रव्यानुयोग-(१) ३. (उनसे) दक्षिण दिशा में विशेषाधिक हैं, ४. (उनसे) उत्तर दिशा में विशेषाधिक हैं। १. दिशाओं की अपेक्षा १-२-३.सबसे अल्प नैरयिक पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा में हैं, ४. (उनसे) दक्षिण दिशा में विशेषाधिक हैं। २. दिशाओं की अपेक्षा१-२-३. सबसे अल्प रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिक पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा में हैं, ४. (उनसे) दक्षिण दिशा में असंख्यातगुणे हैं। ३. दिशाओं की अपेक्षा १-२-३. सबसे अल्प शर्कराप्रभापृथ्वी के नैरयिक पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा में हैं, ४. (उनसे) दक्षिण दिशा में असंख्यातगुणे हैं। ४. दिशाओं की अपेक्षा १-२-३. सबसे अल्प बालुकाप्रभापृथ्वी के नैरयिक पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा में हैं, ४. (उनसे) दक्षिण दिशा में असंख्यातगुणे हैं। ५. दिशाओं की अपेक्षा १-२-३. सबसे अल्प पंकप्रभापृथ्वी के नैरयिक पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा में हैं। ४. (उनसे) दक्षिण दिशा में असंख्यातगुणे हैं। ६. दिशाओं की अपेक्षा १-२-३. सबसे अल्प धूमप्रभापृथ्वी के नैरयिक पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा में है। ४. (उनसे) दक्षिण दिशा में असंख्यातगुणे हैं। ७. दिशाओं की अपेक्षा १-२-३. सबसे अल्प तम:प्रभापृथ्वी के नैरयिक पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा में हैं। ४. (उनसे) दक्षिण दिशा में असंख्यातगुणे हैं। ८. दिशाओं की अपेक्षा १-२-३. सबसे अल्प अधःसप्तम पृथ्वी के नैरयिक पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा में हैं। ४. (उनसे) दक्षिण दिशा में असंख्यातगुणे हैं। दक्षिणदिशावर्ती अधःसप्तमपृथ्वी के नैरयिकों से छठी तमप्रमापृथ्वी के नैरयिक पूर्व, पश्चिम और उत्तर में असंख्यातगुणे हैं और (उनसे भी) असंख्यातगुणे दक्षिणदिशा में हैं। दक्षिणदिशावर्ती तमःप्रभापृथ्वी के नैरयिकों से पाँचवी धूमप्रभापृथ्वी के नैरयिक पूर्व, पश्चिम और उत्तर में असंख्यातगुणे हैं और (उनसे भी) असंख्यातगुणे दक्षिणदिशा में हैं। दाहिणिल्लेहिंतो तमापुढविनेरइएहिंतो पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरइया पुरथिम-पच्चत्थिम-उत्तरे णं असंखेज्जगुणा, दाहिणे णं असंखेज्जगुणा।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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