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________________ IIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIII विशिष्ट सहयोगी समाजभूषण श्री जेठमल जी सा. चौरड़िया, बैंगलोर सरलता, सेवा-भावना, उदारता, जीवमात्र के प्रति दयाशीलता, सहयोग-भाव और मुक्त हृदय तथा मुक्त मन से शुभ कार्यों में लक्ष्मी का सदुपयोग करते रहना-बस यही संक्षिप्त परिचय है दानवीर, समाजभूषण श्री जेठमल जी चौरड़िया का। आपकी जन्मभूमि है-नोखा चांदावतों का तथा कर्मभूमि हैबैंगलोर। दक्षिण प्रान्त में दवा व्यवसाय में आपकी उच्चतम प्रतिष्ठा है। प्रामाणिकता की छाप है। सज्जनता और परिश्रमशीलता से, दान और परोपकार की भावना से आप अपने व्यवसाय में दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति कर रहे हैं और समाज के सभी क्षेत्रों में खुले हाथ से दान देते हैं। स्थानक निर्माण, धर्मशाला, औषधालय, स्कूल तथा अन्य सेवाभावी संस्थाओं को सहयोग कर लक्ष्मी को सार्थक करते रहते हैं। आप अल्पभाषी, सरल और विनम्र स्वभाव के हैं। स्व. पूज्य स्वामी श्री ब्रजलाल जी महाराज एवं स्व. युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी म. के प्रति आपकी व आपके समस्त परिवार की गहरी निष्ठा रही है। आगम प्रकाशन, साहित्य प्रकाशन आदि कार्यों में आपका भरपूर सहयोग मिलता रहा है। स्व. श्रीमान् पुखराज जी लूंकड़, बम्बई आप अ. भा. श्वे. स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस के लोकप्रिय अध्यक्ष रहे हैं। समाज, संगठन एवं विकास की दिशा में आपने बुहमुखी योजनाएँ प्रारम्भ की। आप स्वभाव से विनम्र, मिलनसार और समन्वय वृत्ति प्रधान थे। जीवन प्रकाश योजना आपकी ही देन है। आपकी धर्मपत्नी सुलोचना देवी भी बहुत भावना शील सुश्राविका थीं। महासती श्री मुक्तिप्रभा जी की सुशिष्या महासती श्री अनुपमा जी एवं अपूर्व साधना जी के वर्षीतप पारणे के अवसर पर जोधपुर श्रीसंघ की ओर से ६१ वर्षीतप पारणों का अभूतपूर्व आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता श्रीमान् पुखराज जी लूंकड़ ने की। इसी अवसर पर आपने "चरणानुयोग" (प्रथम भाग) का विमोचन किया और आगम अनुयोग ट्रस्ट, अहमदाबाद को २१ हजार की सहयोग राशि प्रदान की। IIIIIIIIII
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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