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________________ IMILAI विशिष्ट सहयोगी श्री जयन्तिभाई चन्दुलाल जी संघवी, पीपली वाला (अहमदाबाद) मंत्री-अनुयोग ट्रस्ट अनेक शुभ कार्यों में तन-मन-धन से सहयोग करने वाले श्री जयन्तिभाई के नाम से सम्पन्न वर्ग सुपरिचित है। धार्मिक संस्थाओं की अनेक प्रवृत्तियाँ, दीक्षा महोत्सव जैसे धार्मिक प्रसंगों में सदा अग्रणी रहते हए आप प्रेरणा के स्रोत बन जाते हैं। आपकी वाणी अपने माधुर्य और ओजस्विता से श्रोताओं को मनोमुग्ध कर जनता के लिये आर्थिक सहयोग प्रदान करने का आधार रूप हो जाती है। इस प्रकार संस्थाओं के लिये प्रबल स्तम्भ के रूप में अपने को प्रस्तुत कर देते हैं। आपकी यह विशिष्टता है कि जो भी कार्य आप प्रारम्भ करते हैं उसे पूर्ण किये बिना विराम नहीं लेते। व्यावसायिक क्षेत्र में प्रमुख व्यवसायी होते हुए भी डॉ. श्री सोहनलाल जी सा.संचेती, जोधपुर बिना किसी हिचक के शुभ कार्यों को महत्त्व देते हैं-यह आपका स्वाभाविक गुण श्रीमती सोहनकुंवर जी संचेती, जोधपुर है, जो आपके व्यक्तित्व को महान् बनाता है। आपके लिये कार्य महान है-व्यक्ति आप श्री सुजानमल जी संचेती सा. के सुपुत्र हैं। प्रसिद्धवक्ता जैन दिवाकर नहीं। आप मिलनसार प्रवृत्ति के होने के कारण सबके लिये आशीर्वाद रूप हैं। श्री चौथमल जी म. सा. के दो चातुर्मास आपके ही प्रयास से हुए। श्रमणसूर्य बाल्यकाल से ही साधु-संतों की सेवा का अलभ्य लाभ लेते रहे हैं। इसलिये मरुधर केसरीजी म. के प्रति अनन्य श्रद्धा बनी रही जिससे आपका जीवन त्यागी वर्ग की दृष्टि में भी आप समादरणीय हैं। धार्मिक संस्कारों से सम्पन्न हुआ। आचार्य श्री हस्तीमल जी म.सा. के सदुपदेश से सामायिक-स्वाध्याय की रुचि बढ़ी। यों तो आप धांग्रध्रा (सौराष्ट्र) के निवासी हैं किन्तु कर्मनिष्ठा, समाज-सेवा, आपका क्लोथ एक्सपोर्ट की बहुत बड़ा व्यवसाय है। आपने होम्योपैथिक धर्मशीलता एवं स्फूर्त चैतन्यता से आपने अपना विशाल क्षेत्र बना लिया है। डिस्पेन्सरी की स्थापना की एवं स्वयं निःशुल्क चिकित्सा कर रहे हैं। आपके श्री सार्वजनिक जीवन बन जाने के कारण सर्वप्रिय बन गये हैं। आगम अनुयोग ट्रस्ट शांतिप्रकाशजी, महावीरप्रकाश जी जिनेन्द्रप्रकाशजी एवं नगेन्द्रप्रकाशजी चार को आप प्रारम्भ से ही निःस्वार्थ सेवा प्रदान करते रहे हैं। अभी आप अनुयोग सुपुत्र हैं। वे सब अपने-अपने व्यवसाय में संलग्न हैं। ट्रस्ट के मानद् मन्त्री हैं। सौराष्ट्र स्थानकवासी जैन संघ, नारायणपुरा संघ आदि उपाध्याय प्रवर पं. रल मुनि श्री कन्हैयालाल जी म. सा. के प्रति आपकी अनेक संस्थाओं के आप पदाधिकारी हैं। अनन्यश्रद्धा भक्ति है। आप आगम अनुयोग ट्रस्ट के सहमंत्री हैं और सुचारू रूप से अपना पद भार संभालते हैं। आगम सेवी, ज्ञान तपस्वी उपाध्यायप्रवर परम पूज्य श्री कन्हैयालाल जी म. आपकी धर्मपत्नी श्रीमती सोहनकंवर बहुत ही धार्मिक एवं सन्त-सतियों सा. 'कमल' के प्रति आपकी अनन्य श्रद्धा-भक्ति है। गुरू सेवा का यथा प्रसंग की सेवा में सदा तत्पर रहती है। स्थानीय महिला मंडल का उपाध्यक्ष पद बड़े लाभ लेते रहते हैं। ही दायित्त्व के साथ संभालती हैं। अपने बनाये हुए भजनों को मधुर स्वर से गाती है। आपका सम्पूर्ण परिवार धार्मिक संस्कारों से ओतप्रोत है।
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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