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________________ ( ११६ - द्रव्यानुयोग-(१) २. असिद्ध। १. सिद्ध, २. अथवा सभी जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सइंद्रिय, २. अनिंद्रिय। ३. अथवा सभी जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सकायिक, २. अकायिक। ४. अथवा सभी जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सयोगी, २. अयोगी। ५. अथवा सभी जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सवेदक, २. अवेदक। ६. अथवा सभी जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सकषायी, २. अकषायी। १. सिद्धा चेब, २. असिद्धा चेव। -जीवा. पडि.९,सु.२३१ अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. सइंदिया चेव, २. अणिंदिया चेव।' -जीवा पडि.९, सु. २३२ अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. सकाइया चेव, २: अकाइया चेव। . -जीवा. पडि. ९ सु.२३२ अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. सजोगी चेव, २. अजोगी चेव। -जीवा पडि.९ सु.२३२ अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. सवेदगा चेव, २. अवेदगा चेवा -जीवा. पडि.९, सु. २३२ अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. सकसाई चेव । २. अकसाई चेव। -जीवा. पडि.९, सु. २३२ अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. सलेसा य, २. अलेसा य। -जीवा. पडि.९, सु. २३२ अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. णाणी चेव, २. अण्णाणी चेव। _ -जीवा. पडि.९, सु. २३२ अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा१. सागारोवउत्ता य, २. अणागारोवउत्ता या। . -जीवा. पडि. ९, सु. २३३ अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. आहारगा चेव, २. अणाहारगा चेव। -जीवा. पडि.९, सु.२३४ अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. सभासगा य, २. अभासगा य। -जीवा. पडि.९, सु.२३५ अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. चरिमा चेव, २. अचरिमा चेव। -जीवा. पडि.९सु.२३६ अहवा दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. ससरीरी य, २. असरीरी या -जीवा. पडि.९, सु.२३५ ७. अथवा सभी जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सलेश्य, २. अलेश्य। ८. अथवा सभी जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. ज्ञानी, २. अज्ञानी। ९. अथवा सभी जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. साकारोपयुक्त, २. अनाकारोपयुक्त। १०. अथवा सभी जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. आहारक, २. अनाहारक। ११. अथवा सभी जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सभाषक, २. अभाषक। १२. अथवा सभी जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा१. चरम, २. अचरम। १३. अथवा सभी जीव दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. सशरीरी २. अशरीरी। १. ठाणं.अ.२.उ.१,सु.४९ २. ठाणं अ.२,उ.१ सु.४९/१/५ ३. दुविहा सव्यजीवा पण्णत्ता,तंजहा१. सिद्धा चेव, २. असिद्धा चेव। दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता,तं जहा१. सइंदिया चेव, २. अणिंदिया चेव। एवं एसा गाहा फासेयव्या जाव ससरीरी चेव असरीरी चेवसिद्ध,सइंदिया२,काए३,जोए”,वेए' कसाय६, लेसा य। 'णाणुव ओगाहारे१०,भासग११,चरिमे य१२, सरीरी१३॥ -ठाणं अ.२, उ.४, सु. ११२
SR No.090158
Book TitleDravyanuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1994
Total Pages910
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size32 MB
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